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थ्री इडियट जैसा नजारा: कोरोना मरीज की हालत बिगड़ी तो बाइक पर 100 KM दूर अस्पताल ले गए, CM ने की तारीफ
तिरुवनंतपुरम (केरल). कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देश में तबाही मचाकर रखी है। ना तो समय पर इलाज मिल पा रहा है और ना ही मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस मिल पा रही है। इसी बीच केरल से एक इंसानियत की मिसाल पेश करने वाली खबर सामने आई है। जहां कोरोना वॉरियर्स ने एक मरीज की हालत बिगड़ते देख उसे बाइक पर बैठाकर हॉस्पिटल तक ले गए। समय रहते हुए उसकी जिंदगी बचा ली। राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इन वॉलेंटियर्स की जमकर तारीफ की है।
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'सीएम ने कहा-इन दो युवाओं को सलाम करता हूं'
दरअसल, यह मामला अलप्पुझा जिले के पुन्नापारा गांवा का है। जहां के डोमिसाइल कोविड केयर सेंटर में भर्ती एक कोरोना मरीज की अचानक तबीयत बिगड़ गई। काफी देर होने के बाद जब समय पर एंबुलेंस नहीं आई तो आनन-फानन में दो लोग पीपीई किट पहनकर मरीज को बाइक पर बीच में बिठाकर अस्पताल तक लेकर गए। मुख्यमंत्री पिनरई विज्जयन ने भी इन नौजवानों की तारीफ करते हुए कहा-इन दो युवाओं ने जिस तरह से काम किया है वह सराहनीय है। में उनकी तारीफ करता हूं। उनकी ही वजह से मरीज की हालत मे सुधार है।
फिल्म थ्री इडियट जैसा नजारा
सोशल मीडिया पर यह वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। कुछ यूजर इस घटना को फिल्म थ्री इडियट की एक क्लिप के साथ शेयर कर रहे हैं। कैसे उस फिल्म में एक्टर आमिर खान और करीना कपूर एक मरीज को स्कूटर पर बैठाकर अस्पताल तक लेकर गए थे। ठीक इसी तरह कोरोना मरीज को बाइक पर बिठाकर अस्पताल ले जाने वाले केरल के अश्विन और रेखा हैं।
जरा सी देरी होती तो जा सकती थी मरीज की जान
बता दें कि अश्विन कुंजुमोन और रेखा पुन्नापारा डोमेसाइल केयर सेंटर में वॉलेंटियर के रूप में तैनात हैं। शुक्रवार को उन्होंने अचानक एक मरीज को जमीन पर पड़ा देखा कि उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। उसकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। ऐसे में उन्होंने एंबुलेंस को भी फोन किया लेकिन उसे आन में 10 से 15 मिनट का वक्त लग रहा था। फिर दोनों ने बिना देरी किए मरीज को बाइक पर बिठाकर अस्पताल ले जाने का फैसला किया।
100 किलोमीटर दूर तक बाइक चलाकर पहुंचे
पुन्नापारा गांव के डोमिसाइल कोविड केयर सेंटर जिला अस्पताल करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर था। लेकिन इसके बाद भी अश्विन और रेखा ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपनी सूझबूझ से समय रहते हुए मरीज को अस्पताल पहुंचाया और उसकी जान बचा ली।