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शर्मनाक: 'सूरज भी अब डरता होगा; दिल्ली में निकलने को...और खौफ में हवा भी होगी; अब दिल्ली में चलने को'
| Published : Feb 26 2020, 11:52 AM IST / Updated: Feb 26 2020, 12:06 PM IST
शर्मनाक: 'सूरज भी अब डरता होगा; दिल्ली में निकलने को...और खौफ में हवा भी होगी; अब दिल्ली में चलने को'
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ये तीन-अलग-अलग शर्मनाक तस्वीरें सिख, गुजरात और दिल्ली दंगे से जुड़ी हैं। तीसरी शर्मनाक तस्वीर CAA के विरोध के बीच भड़के दंगों के दौरान एक युवक की है। ऐसे एक नहीं, तमाम युवा हैं..जिनके जेहन में जहर घोल दिया गया है। वे देश-समाज और अपनी फिक्र छोड़कर..सबकुछ बर्बाद करने पर उतर आए हैं। ऐसे लोगों को ऊपरवाला सद्धबुद्धि दे..सच्चे देशवासी यही कामना कर रहे हैं। क्योंकि-सूरज भी अब डरता होगा; दिल्ली में निकलने को/और खौफ में हवा भी होगी; अब दिल्ली में चलने को/धधक रही है आग दिलों में/और बुझे चूल्हे घर के;राजघाट ही शेष बचा; अब दिल्ली में जलने को!
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यह दंगा 'डायरेक्ट एक्शन दिवस' के नाम से कुख्यात है। इस दंगे में 4,000 लोग मारे गए थ, जबकि 10,000 से भी ज़्यादा लोग घायल हुए थे।
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यह दंगा 31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी की मौत के बाद भड़का था। इसमें हजारों सिखों को घर से बेघर होना पड़ा था। वहीं सैकड़ों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी की उन्हीं के सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी।
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यह दंगा कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों को बाहर खदेड़े जाने पर भड़का था। इसमें 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। वहीं हजारों कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़नी पड़ी थी।
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बनारस या वाराणसी भारत का एक धार्मिक स्थल है। यहां सभी धर्म के लोग भाईचारे से रहते आए हैं। लेकिन कुछ लोगों के नापाक इरादों के सफल होने पर 1989, 1990 और 1992 में भयंकर दंगे हुए थे।
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अक्टूबर, 1989 को हुआ यह दंगा देश के इतिहास का सबसे भयानक दंगा माना जाता है। इसमें 1000 से ज्यादा लोगों को मार दिया गया था।
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1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराने के बाद यह दंगा भड़का था। यह लंबे समय तक चला था। इसमें सैकड़ों लोगों की जान गई थी।
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यह दंगा साबरमती एक्सप्रेस को गोधरा स्टेशन के पास जलाए जाने के बाद भड़का था। बात 2002 की है। इस ट्रेन से कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे। इसमें 59 कारसेवक जलकर मर गए थे। इसके बाद भड़के दंगों में गुजरात में 2000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।
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यह दंगा 5 अप्रैल, 2006 में हुआ था। यह शहर दंगों के मामले में काफी बदनाम है। अकसर यहां दंगे हो जाते हैं।
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पश्चिम बंगाल के देगंगा में यह दंगा दो पक्षों में मामूली सी बात पर हुआ था। इसमें भी कई लोगों की जान गई थी। हजारों लोगों को बेघर होना पड़ा था।
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यह दंगा असम के कोकराझार में रहने वाले बोडो जनजाति और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बीच हुआ था। इसमें लाखों लोगों को बेघर होना पड़ा था।
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उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए इस दंगे में 48 से ज्यादा लोगों की जानें गई थीं। इस दंगे में सैकड़ों लोगों को अपना घरबार छोड़ना पड़ा था।
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दंगाई किसी का सगा नहीं होता। इसमें गैर भी जान गंवाते हैं और अपने भी। दो वक्त की रोजी-रोटी के लिए जीतोड़ मेहनत करने वाले लोग..दंगों की चपेट में आकर दाने-दाने को मोहताज हो जाते हैं।