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10 साल से कमरे में बंद थे 3 भाई-बहन, शरीर पर कोई कपड़ा नहीं फैला था मल..तस्वीरें देख कांप जाएगी रुह
राजकोट (गुजरात). अगर किसी को 10 मिनट के लिए कमरे में बंद कर तो वह चीख-चीखकर हंगामा खड़ा कर देता। लेकिन गुजरात से एक ऐसा हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसे जानकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाएंगे। यहां दो भाई ओर एक बहन पिछले 10 साल से एक कमरे में बंद थे। आलम यह था कि उन्होंने 10 वर्षों में सूरज का उजाला तक नहीं देखा था। चौंकाने वाली बात यही है कि तीनों बच्चों के पिता इतने सालों से उन्हें खाना-पानी देते आ रहे थे, लेकिन बाहर नहीं निकालते थे। रविवार को एक सामाजिक संस्था (NGO)ने तीनों को मुक्त कराया।
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दरअसल, राजकोट के एक एनजीओ की संस्थापक जल्पाबेन ने बताया कि उनको शनिवार शाम एक फोन आया था। जहां उन्हें बताया कि पिछले कई सालों से यहां एक घर में तीन भाई-बहन कमरे में बंद हैं। इसके बाद जब रविवार को उस मकान पर पहुंचे तो किसी ने कोई दरवाजा नहीं खोला। क्योंकि तीनों के पिता नवीन मेहता उन्हें होटल पर खाना लेने के लिए गए थे। फिर गेट को तोड़कर अंदर पहुंचे तो वहां से बदबू आई तो हम बाहर की ओर भागे। लेकिन फिर सोचा जो काम करने के लिए आए हैं वो करना भी जुरूरी है।
एनजीओ के लोग मुंह पर रुमाल लगाकर कमरे में अंदर पहुंचे वहां अंधेरा था। टॉर्च से देखा तो तीनो भाई बहन की हालत देखकर हैरान थे। कमरे में चारों तरफ उनका मन जमा हुआ था। जगह-जगह बासी रोटी और सब्जी का ढेर लगा हुआ था। तीनों के शरीर हड्डियों का ढांचा बन चुका था और उनके तन पर कोई कपड़ा नहीं था।
जब लोगों ने तीनों बच्चों की इस हालत के पीछे की वजह पूछी तो पिता नवीन मेहता पूरी काहनी बताई। उन्होंने कहा कि करीब 10 साल पहले मेरी पत्नी और तीनों बच्चों की मां का निधन हो गया था। मां के गुजरने के बाद से तीनों की हालत बिगड़ती गई और मानसिक हालत खराब हो गई। इसके चलते कोई पड़ोसी घर में नहीं आता था। पहले बड़े बेटे के दिमाग पर असर हुआ और उसके बाद छोटे बेटे पर। दोनों की देखरेख बेटी करती थी, लेकिन कुछ समय बाद उसकी हालत भी बिगड़ गई। तीनों कमरे में बदं रहने लगे, जब कोई आता तो वह उसके साथ मारपीट करने लग जाते। जिसके चलते उन्हें बंद कर दिया था।
बता दें कि तीनों काफी पढ़े-लिखे हैं, जहां एक भाई ने एलएलबी, दूसरा बी.कॉम और बहन साइकोलॉजी की डिग्री ली हुई है। तीनों की उम्र 30 से 42 वर्ष के बीच है। पिता ने बताया कि उनके तीनों बच्चे पढ़ने लिखने में बहुत होशियार थे। जब तीनों की डिग्रियां दिखाईं तो सब हैरान थे। उन्होंने बताया कि उनका बड़ा बेटा अंबरीश (42) बीए एलएलबी करके प्रैक्टिस करता था। वहीं छोटा बेटा भावेश ने बी.कॉम के साथ साथ क्रिकेटर था और स्थानीय टूर्नामेंट में भी खेलता था। जबकि 39 साल की बेटी मेघा ने मनोविज्ञान की डिग्री ली थी और वह एक निजी कॉलेज में पढ़ाती थी।
पिता नवीन रिटार्यड सरकारी कर्मचारी हैं। वह रोजाना अपने बच्चों को होटल से लेकर खाना खिलाते थे। उन्होंने बताया कि तीनों बच्चों का काफी इलाज कराया, लेकिन कहीं कोई फायदा नहीं हुआ। पिता नवीन ने बताया कि उन्हें लगता है कि रिश्तेदारों ने उनके बच्चों पर टोटका किया हुआ है। पिता नवीन ने बताया कि तीनों बच्चे अपनी मां से बेहद प्यार करते थे। जब मां बिछड़ी तो उनकी हालत ऐसी हो गई।
एनजीओ की मदद से आसपास के लोगों ने तीनों भाई-बहन को पहले नहलाया, इसके बाद उनके कपड़े बदले गए। फिर नाई को बुलाकर तीनों के बाल बनवाए गए। इसके बाद तीनों को खाना खिलाया गया।
तीनों बच्चों के पिता नवीन मेहता होटल से खाना लाकर उन्हें खिलाने के लिए पहुंचे।
इत तस्वीर को देखकरअंदाजा लगाया जा सकता है कि तीनों भाई-बहन की हालत कितनी खराब थी।