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पत्नी ने ढील दी तो पति ने उड़ाई पतंग, तस्वीरों में देखिए गुजरात का नजारा..छतों पर काई पो छे की गूंज
अहदमाबाद. पूरे देश में मकर संक्रातिं और पतंबबाजी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। लेकिन गुजरात में इस फेस्टिवल की बात ही कुछ अलग है। जहां पतंगबाजी एक जश्न की तरह मनाया जाता है। हालांकि इस बार कोरोना की गाइड लाइन के चलते लोग मैदानों या सड़कों पर नहीं आकर अपनी-अपनी छतों पर पतंग उड़ाकर लुत्फ उठा रहे हैं। जहां सभी की छतों पर पतंग हैं, चरखे हैं, पेच लड़ने-लड़ाने की बातें हैं और ये काटा-वो काटा की आवाजें सुनाई दे रही हैं।
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गुजरात में बच्चे हो या बूढ़े या महिलाएं सब के हाथ में इस दिन पतंग और माझा होता है। हालांकि हर बार की तरह इस साल यह त्यौहार फीका सा नजर आ रहा है। जहां बाजारों में भी चमक-दमक नहीं दिखाई दे रही है। हालांकि लोगों ने अपने-अपने घरों में मैथी की पूड़ी, दही-बड़े, फूलवडी, खीचड़ा, कचौरी, फाफड़ा करके छतों पर पहुंच गए हैं। जहां पत्नी माझे को पकड़े ढील दे रही है तो पति पतंग को आसमान में परिदों की तरह उड़ाए जा रहा है।
जहां हर साल गुजारत में पतंगबाजी को लेकर मैदानों, पार्कों, सड़कों, सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ होती थी, अब वहां पर सन्नाटा पसरा हुआ है। अहमदाबाद में एक दिव्यांग पतंगबाजी का लुत्फ उठाता हुआ।
यह तस्वीर वडोदरा की है, जहां पति आकाश में पतंग उड़ा रहा है तो पत्नी डोर थामें ढील दिए जा रही है।
कोरोना की गाइडलाइ के अनुसार जहां आसपास के लोग एक साथ पतंग उड़ा रहे हैं तो वह इस दौरान वह मास्क लगाए दिख रहे हैं।
पतंग फेस्टिवल की यह तस्वीर राजकोट की है, जहां लोक गायक कीर्तिदान गढ़वी परिवार यह उत्सव मना रहा है।