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सबसे अनोखी मां:जो बरगद के पेड़ों को मानती हैं अपनी संतान, जिनकी कहानी सबके लिए है बड़ा सबक

तुमकुर(कर्नाटक). हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे (Mothers Day) मनाया जाता है। इस बार यह 9 मई को मनाया जा रहा है। मां एक ऐसा शब्द होता है जिसमें प्यार, साहस, प्रेरणा और कुछ करने का जज्बा जैसे शब्द शामिल होते हैं। हर मां की एक अलग कहानी होती है, लेकिन इस मदर्स डे के मौके पर आज हम आपको एक ऐसी मां से मिलवाने जा रहे हैं, जिसकी कहानी सबसे अलग और दिलचस्प है। जो बरगद के पेड़ों को अपनी संतान मानती है। 

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Asianet News Hindi
Published : May 09 2021, 01:24 PM IST| Updated : May 09 2021, 01:29 PM IST
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दरअसल, सबसे अनोखी मां का नाम सालुमारदा थिम्मक्का है, वह मूल रूप से कर्नाटक के तुमकुर जिले की रहने वाली हैं। वह बरगद के पेड़ों को अपनी संतान मानती हैं। लेकिन इसके पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।

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बता दें कि सालुमारदा थिम्मक्का की शादी के बाद जब कोई संतान नहीं हुई तो वह पौधों को ही अपना बच्चा मानने लगीं। हालांकि लोग उनका मजाक उड़ाते थे कि कोई पेड़ कैसे किसी का बच्चा हो सकता है। लेकिन उन्होंने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया। वह अपने जीवन में अब तक 400 से ज्यादा बरगद के पेड़ लगा चुकी हैं। इसके अलावा 8 हजार से अधिक अन्य वृक्ष लगा चुकी हैं। उनके द्वारा लगाए गए बरगद के पेड़ों की उम्र 70 साल हो चुकी है।
 

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सालुमरादा थिम्मक्का को साल 2019 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। जब वह यह सम्मान लेने के लिए स्टेज पर आई थीं तो उनका आत्मविश्वास और मुस्कान देखकर सभी लोग हैरान थे। इतनी उम्र होने के बाद भी उनको देखकर नहीं लगता है कि वह बुजुर्ग हैं। इस समारोह के दौरान राष्टृपति सिर झुका कर उन्हें प्रणाण किया था।

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 जिनकी उम्र 100 साल से भी ऊपर हो चुकी है। लेकिन आज भी उनका जज्बा किसी युवा से कम नहीं है। वह आज बिना किसी लाठी के सहारे चलती हैं। वह साधारण गरीब परिवार से आती हैं। लेकिन आज उनकी पहचान पूरी दुनिया में है। किस तरह उन्होंने अकेले ही हजारों वृक्षारोपण करके उनकी देखभाल की।
 

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वह रोजाना नियम से अपने लगाए पेड़ों की देखभाल करती रहती हैं। वह 80 वर्ष से भी अधिक वर्षों से पौधे लगाने का काम कर रही हैं। इसलिए तो इन्हें वृक्ष माता भी कहा जाता है। वह अक्सर खुश दिखती हैं, चेहरे पर सदा मोहक मुस्कान होती है।
 

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देश-विदेश के लाखों लोग आज उनको अपना आर्दश मानते हैं। साथ ही उनके द्वारा चलाए पेड़ लगाने की मुहिम से सीख लेते हैं। वह दिन रात पर्यावरण के लिए काम करती हैं। राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक उनको इसके लिए सम्मानित कर चुकी है। 

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क्यों मनाया जाता है मदर्स डे : मदर्स डे मनाने को लेकर अलग अलग धारणाएं हैं। यही वजह है कि पूरी दुनिया में इस खास दिन के लिए एक तारीख तय नहीं है। हालांकि, मुख्य तौर पर मदर्स डे मनाने की शुरुआत अमेरिका से मानी जाती है। यहां एना जार्विस ने 1912 में अपनी मां के निधन के बाद इस दिन को मनाया था। तभी से मदर्स डे की शुरुआत मानी जाती है। वहीं, बोलविया में 27 मई को स्पेन की सेना ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वाली महिलाओं की हत्या की थी। इसी वजह से यहां मदर्स डे मनाया जाता है। 

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