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आंखों से साफ नहीं दिखता, सिलाई मशीन चलाना नहीं आती, फिर भी 80 साल की लेडी सिल रहीं मास्क
देहरादून, उत्तराखंड. कोरोना संक्रमण के खिलाफ देशभर में सेवा का जो भाव देखा जा रहा है, वो वाकई गर्व की बात है। क्या छोटे-बड़े, अमीर-गरीब, सब एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। यह हैं देहरादून की एमडीडीए कॉलोनी में रहने वालीं निर्मला वाशिंगटन। ये अपनी साड़ियों से मास्क बनाकर जरूरतमंदों में बांट रही हैं। इनकी उम्र 80 साल है। इन्हें आंखों से ठीक से दिखाई नहीं देता। घर की माली हालत इतनी अच्छी नहीं कि सिलाई मशीन खरीद सकें। दूसरा, इन्हें मशीन चलाना भी नहीं आता। लेकिन बुजुर्ग का जज्जा देखिए, ये सुई-धागे से मास्क सिल रही हैं। से अपने मोहल्ले और आसपास मास्क बांट चुकी हैं। अब दूसरी महिलाएं भी कपड़े लाकर इन्हें मास्क बनाने दे रही हैं।
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निर्मला का बेटा पेंटर है। लेकिन लॉकडाउन के कारण काम-धंधा बंद होने से घर पर बैठा है। पहले तो उनके बेटे को भी लगा कि बुढ़ापे में मां को यह क्या सूझी? लेकिन अब उसे मां पर गर्व है। बेटे ने कहा कि इस संकट की घड़ी में सब एक-दूसरे के काम आएं, तो परेशानियां कम होंगी।
यह तस्वीर पंजाब के मोगा की है। यह हैं 98 साल की अकालसर रोड पर रहने वालीं गुरदेव कौर। ये जब भी किसी को बगैर मास्क पहने अपने घर के आगे से गुजरते देखतीं, तो वे उससे पूछतीं कि मास्क क्यों नहीं पहना? इनमें से ज्यादातर कहते कि उनके पास पैसा नहीं है कि वो मास्क खरीद सकें। यह बात अम्माजी को अंदर तक भेद गई। बस फिर क्या था, उन्होंने अपनी 100 साल पुरानी सिलाई मशीन उठाई और खुद मास्क सिलने बैठ गईं। यह मशीन उनके ससुरालवाले सिंगापुर से लाए थे। ये सैकड़ों लोगों को मास्क बांट चुकी हैं।
यह हैं राजस्थान के सीकर की रहने वालीं लक्ष्मी देवी। इन्होंने देखा कि गरीब लोग मास्क नहीं खरीद पा रहे हैं। बस फिर क्या था, इन्होंने खुद मास्क सिलकर बांटना शुरू कर दिए। इनके पति राजकुमार व्यवसायी हैं। वे और उनकी दोनों बेटियां रेणु और टीना भी इसमें मदद कर रहे हैं।
यह हैं छत्तीसगढ़ के नारायणपुर की रहने वालीं 23 साल की लीना। ये जन्म से ही मूक-बधिर हैं। लेकिन ये लोगों के हाव-भाव से उनका दर्द समझ लेती हैं। इन्हें मालूम चला कि कोरोना संक्रमण ने सारी दुनिया को हिला दिया है और उससे लड़ने के लिए मास्क बहुत जरूरी हैं। इसके बाद लीना ने घर पर ही मास्क बनाना शुरू कर दिए। ये मास्क गरीबों को दिए जा रहे हैं। कलेक्टर पीएस. एल्मा भी इनकी तारीफ कर चुकी हैं। लीना रोज 80 मास्क तैयार कर रही हैं। लीना नारायणपुर जिले से करीब 12 किमी दूर नाउमुंजमेटा गांव में रहती हैं।
यह हैं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की पत्नी नौनंद कंवर। ये जोधपुर में रहती हैं। जब उन्होंने देखा कि गरीब लोग कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मास्क तक नहीं खरीद सकते, तो उन्होंने खुद मास्क बनाकर बांटना शुरू कर दिए। वहीं, शेखावत दिनभर कोरोना संक्रमण की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। नौनंद कंवर ने बताया कि कोरोना से बचने के लिए मास्क एक अच्छा उपाय है। लेकिन गरीब लोग मास्क नहीं खरीद पा रहे थे। यह देखकर उन्हें दु:ख हुआ। तब उन्होंने निश्चय किया कि वे खुद मास्क बनाकर लोगों में बंटवाएंगी।