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कुछ दिन पहले पति ने दुनिया छोड़ दी, कोई मदद को आगे नहीं आया, अब बच्चों को लेकर दु:खी मन से घर वापसी
सूरत, गुजरात. इस महिला के दिल पर क्या गुजर रही होगी..इसकी कल्पना दूसरा कोई नहीं कर सकता। 6 साल पहले शादी हुई। सबकुछ बढ़िया चल रहा था कि 3 मई को पति की बीमारी के चलते मौत हो गई। कोरोना के डर से किसी ने उसकी मदद नहीं की। अब वो अपने 5 साल के बेटे प्रशांत और 10 महीने की बेटी पीयू को लेकर अपने घर बंगाल जाने के लिए निकल गई। जब महिला स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रही थी, तो पति के बिना अकेले और इस विकट परिस्थिति में हमेशा के लिए शहर छोड़ने का दर्द उसकी आंखों में आंसू बनकर बह रहा था।
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महिला मंतोष गोंड ने बताया कि शादी के बाद वो 5 साल पहले अपने पति पार्थव नंदी के साथ पश्चिम बंगाल से सूरत आई थी। उसका पति यहां पिछले 10 साल से वेड रोड विश्रामनगर में एक एम्ब्रायडरी कारखाने में काम करता था। अचानक एक दिन पति की तबीयत बिगड़ी। स्मीमेर हॉस्पिटल में दिखाने पर पता चला कि उसकी किडनी फेल हो गई हैं। 3 मई को उसकी मौत हो गई। अंतिम संस्कार के दौरान कोरोना के डर से कोई भी उसकी मदद को आगे नहीं आया। अब उसकी पड़ोसिन शुभांगी देवी ने उसे गोरखपुर तक भेजने की व्यवस्था की है। वहां से वो अकेले पश्चिम बंगाल निकल जाएगी। यह बताते हुए महिला का दर्द आंखों स छलक पड़ा। आगे देखिए लॉकडाउन की कुछ इमोशनल तस्वीरें
यह तस्वीर नोएडा की है। अपनी गुड़िया से टिककर सोता बच्चा। बच्चों को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि ऐसा क्यों हो रहा है?
यह तस्वीर गुरुग्राम की है। खेलने-कूदने के दिनों में बच्चों को बोझ लेकर चलना पड़ रहा है।
पटना में खाना लेकर लौटती एक महिला के साथ पैदल चलती मासूम बच्ची। पीछे खाना लेकर आते अन्य बच्चे। यह स्थिति हर जगह देखने को मिल जाएगी।
गुरुग्राम में घर वापसी के लिए साधन के इंतजाम में बैठा एक पिता अपने बच्चे को धूप को बचाते हुए।
नई दिल्ली की यह तस्वीर जिंदगी के कड़वे दिनों को दिखाती है।
गुरुग्राम में बसों के इंतजार में धूप में बैठी महिलाएं और उनके बच्चे।
पटना की यह तस्वीर देश के बंटवारे की यादें ताजा कराती है। ऐसी ही तस्वीरें 1947 में बंटवारे के वक्त दिखाई दी थीं।
नई दिल्ली से यूपी के लिए निकली महिला को जब पुलिस ने बॉर्डर पर रोक लिया, तो वो बच्चे को सीने से चिपकाकर रो पड़ी।