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पिता के साथ खेतों में काम करने वाली बेटी बनी IAS अफसर, घर में फोन तक नहीं..कोचिंग के भी नहीं थे पैसे
हल्द्वानी (उत्तराखंड). कहते हैं अगर जोश, जुनून और जज्बा हो तो मंजिल तक पहुंचने में देर नहीं लगती। बस आपके इरादे मजबूत होना चाहिए, कुछ ऐसा ही सच कर दिखाया है पहाडों की बेटी यानी उतराखंड के चमोली जिले की रहने वाली प्रियंका दीवान ने। जो अपने इलाके की लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन गई हैं। प्रिंयका ने बिना कोचिंग के पहले ही प्रयास में UPSC एग्जाम क्लियर कर 257 रैंक हासिल कर IAS अफसर बन गई हैं। उनकी सफलता की कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
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बता दें कि प्रिंयका चमोली जिले के देवाल ब्लॉक के छोटे से गांव रामपुर की रहने वाली हैं। उनके गांव में ना तो सड़क है और ना ही 10वीं तक स्कूल, यहां तक की उनके घर में किसी के पास कोई स्मार्ट फोन तक नहीं है। उनके पिता दीवान राम खेती करते हैं उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपनी बेटी को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा सकें। एक इंटरव्यू के दौरान प्रिंयका ने बताया था स्कूल की छुट्टी होने के बाद अक्सर पिता की मदद के लिए खेतों पर पहुंच जाती थीं। कई बार उन्होंने बुआई से लेकर कटाई तक के काम में मदद की है।
प्रियंका के IAS अफसर बनने की खुशखबरी उनके परिवार को चार दिन बाद पता चली। क्योंकि पिता के पास ऐसा कोई फोन या जरिया नहीं था जिससे वह पता कर पाते की बेटी ने UPSC एग्जाम क्लियर किया है या नहीं। जब गांव में किसी ने कहा यूपीएससी का परिणाम जारी हो गया है तुम्हारी बेटी का क्या हुआ। तब वह पास के गांव में गए वहां से बेटी को कॉल किया तब जाकर माता पिता को पता कि उनकी बेटी अब अफसर बन गई है। (अपनी कामयाबी के बाद पिता का मुंह मीठा कराती हुईं प्रियंका)
बता दें कि प्रियंका ने पांचवी तक की पढ़ाई अपने ही रामपुर गांव से की है। इसके बाद वह छटी क्लास से 3 किलोमीटर दूर दूसरे टोरटी गांव में पढ़ने जाती थीं। यहां से उन्होंने 10वीं पास की। इसके बाद जब प्रियंका दसवीं अच्छे नंबरों से पास हुई तो गांव के लोगों ने पिता से कहा तुम्हारी बेटी पढ़ने में होशियार है इसको किसी अच्छे स्कूल में पढ़ने भेज दो। फिर प्रियंका ने गांव से करीब 100 किलोमीटर दूर गोपेश्वर कस्बा से अपनी ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की। (प्रियंका का जश्न मनाते हुए रामपुर गांव के लोग)
प्रियंका ने बताया था कि उनको यूपीएससी परीक्षा निकालने के लिए जिले के एक डीएम ने ही प्रेरित किया था। बात साल 2012 की है जब वह फर्स्ट ईयर में थी तो कॉलेज के एक समारोह में डीएम साहब आए हुए थे। इस दौरान उनसे मैंने कलेक्टर कैसे बनते हैं यह पूछा तो उन्होंने बहुत सारी जानकारियां और इस पद की अहमियत बताई। उन्होंने कहा तुम यूपीएससी पास कर सकती हो। इसके बाद मेंने अपने मामाजी से इस बारे में पूछा जो कि देहरादून कोर्ट में जज हैं। उन्होंने मुझको बहुत अच्छे से गाइड किया और कहा तुम इसकी तैयारी शुरू कर दो। उस दौरान में एक निजी स्कूल में टीचर थी। (बेटी की सफलता के बाद माता-पिता एक दूसरे का मुंह मीठा करते हुए)
इसके बाद प्रिंयका साल 2015 में एलएलबी की पढ़ाई करने के लिए अपने मामा के पास देहरादून आ गईं। मास्टर डिग्री करने के बाद उन्होंने सोचा मैं ऐसे कब तक प्राइबेट जॉब करती रहूंगी, फिर कहीं जाकर प्रिंयका ने घर पर ही बिना कोचिंग के तैयारी शुरू कर दी। क्योंकि परिवार की हालत इतनी बेहतर नहीं थी कि वह कहीं कोचिंग कर सके। उन्होंने अपने दोस्तों की मदद से यूपीएससी के सिलेबस की जुगाड़ की और जुट गईं, फिर साल 2019 में पहली बार UPSC का एग्जाम दिया और अब उनको सफलता मिल गई। (खेत में काम करते वक्त प्रियंका)
देहरादून में अपने कॉलेज के समय एक समारोह के दौरान प्रियंका दीवान