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भगवान का रूप होते हैं डॉक्टर, 7 माह की गर्भवती लेकिन 60 KM चलकर मरीजों को बचा रहीं, पढ़िए इनकी कहानी
फाजिल्का (पंजाब). कोरोना के मरीजों को सही करने के लिए देश के डॉक्टर अपनी जान की परवाह किए बिना दिन रात ड्यूटी कर रहे हैं। इलाज करने वाले कई डॉक्टर महामारी की चपेट में आ चुके हैं। 1 जुलाई यानि 'डॉक्टर डे' इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं पंजाब की लेडी डॉक्टर सुनीता कंबोज के बारे में, जिनके बेहतर काम की वजह से उन्हें 15 अगस्त को पुलिस डीजीपी अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।
| Published : Jul 01 2020, 01:58 PM IST / Updated: Jul 01 2020, 02:01 PM IST
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दरअसल, डॉक्टर सुनीता कंबोज फाजिल्का सिविल अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रही हैं। बता दें कि वह 7 माह की गर्भवती होने पर भी रोज 60 किमी. दूर जलालाबाद से फाजिल्का आती रहीं। इतना ही नहीं वह कई बार रात के 12 बजे तक घर लौंटती हैं। क्योंकि उनके लिए अपनी ड्यटी से बढ़कर कुछ नहीं है।डॉ. सुनीता का कहना है कि मुझे इस बात की खुशी है कि मैं ने इस संकट के समय पेशेंट की देखभाल अच्छे से कर सकी। मेरे लिए फर्ज से ज्यादा जरूरी और कुछ नहीं है। हालांकि कोरोना काल में सबसे बड़ी चिनौती पेशेंट की ट्रेसिंग और ट्रैवलिंग हिस्ट्री के अनुसार क्वारेंटीन करना, सैंपलिंग, फील्ड वर्क, स्टेट कोआर्डिनेशन रहीं।
यह हैं डॉ. शोभना बांसल जो पिछले चार महीने से जालंधर की जिला अस्पताल में दिन रात कोरोना के मरीजों का इलाज कर रही हैं। उनका कहना है कि मार्च में उन्हें पता लगा कि वे प्रेग्नेंट हैं। इसके बाद फील्ड और दफ्तर में काम करने में ज्यादा सावधानी बरती। यह उनकी पहली प्रेग्नेंसी है। ड्यूटी के दौरान वे खुद की रेस्ट और काम को मैनेज कर रही हैं।
यह हैं जालंधर सिविल अस्पताल की लेबोरेट्री की इंचार्ज डॉ. सतिंदर कौर और डॉ. कमलजीत कौर जो 15-15 घंटे की ड्यूटी कर रही हैं। वब अभी तक 20 हजार से अधिक लोगों के सैंपल टेस्ट और पैक करके लेबोरेट्री भेज चुकी हैं। हर वक्त उनके साथ खतरा बना रहता है, इसके बावजदू भी वह अपने फर्ज से पीछे नहीं हटीं।
यह हैं डॉ राजेश और डॉ. रोहित, जो जालंधर में मरीजों को ट्रेस करने और इनके संपर्क में आने वाले लोगों के एरिया में जाकर उनके सैंपल ले रहे हैं। जय-वीरू की यह जोड़ी पंजाब में खूब फेमस हो रही है। वह पिछले कई दिनों से अपने घर तक नहीं गए हैं। 24 घंटे मरीजों की सेवा करते हैं, जिस वक्त भी उनको फोन आता वह उठकर दूर-दराज गांव तक पहुचं जाते हैं।