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स्वर्ण मंदिर को लेकर आई एक बड़ी खुशखबरी..मोदी सरकार के एक फैसले से लाखों लोगों का होगा भला
अमृतसर (पंजाब). अमृतसर का स्वर्ण मंदिर दुनिया का सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटक स्थलों में से एक है। इस गुरुद्वारे में मत्था टेकने दुनियाभर से लाखों लोग हर साल आते हैं। गोल्डन टेम्पल को लेकर मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है। जिसके तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब के 'श्री हरमंदिर साहिब' को विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए), 2010 के तहत पंजीकरण की अनुमति दी है। यानि अब विदेशी चंदा मिल सकेगा।
| Published : Sep 10 2020, 02:38 PM IST / Updated: Sep 10 2020, 03:28 PM IST
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विदेशी सिख भाई अब कर सकेंगे सेवा
केंद्रीय गृह मंत्री ने अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि मोदी सरकार का यह फैसला हमारी विदेशी सिख बहनों और भाइयों की सेवा की उत्कृष्ट भावना को प्रदर्शित करेगा। ताकि वह गोल्डन टेंपल के श्रद्धालुओं को मुफ्त भोजन और अन्य सुविधाएं मुहैया करा सके। यह निर्णय 5 सालों के लिए मान्य होगा।
श्री दरबार साहिब की दिव्यता शक्ति प्रदान करती है
इतना ही नहीं अमित शाह ने यह भी कहा कि श्री दरबार साहिब की दिव्यता हमें शक्ति प्रदान करती है। दशकों से, दुनिया भर में संगत वहां सेवा करने में असमर्थ थे। श्री हरमंदिर साहिब के लिए एफसीआरए की अनुमति देने के मोदी सरकार के फैसले से विश्व और श्री दरबार साहिब के बीच सेवा का जुड़ाव गहरा गया है।
लंगर में अभी देश से ही लेते थे चंदा
अभी गोल्डन टेंपल में लंगर सेवा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति द्वारा संचालित की जाती है। बता दें कि सचखंड श्री हरमंदिर साहिब श्री दरबार साहिब पंजाब एसोसिएशन ने 27 मई को एफसीआरए पंजीकरण के लिए आवेदन किया था। एसोसिएशन गरीबों की मदद करती है। यह संगठन 1925 में बना है जो इसके लिए अभी तक देश के ही लोगों से चंदा लेता था। एफसीआरए पंजीकरण की मंजूरी मिलने के बाद अब विदेशों से भी दान ले सकेगा।
क्या है अंशदान
बता दें कि विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) यह एक ऐसा कानून है, जो भारत में गैर सरकारी संगठन (NGO) एंव अन्य लोगों हेतु कुछ व्यक्तियों या संगठनों द्वारा प्रदान किए गए विदेशी योगदान को विनियमित करने के लिए संसद द्वारा अधिनियमित है। यह अधिनियम साल 1976 में बना था।
अमृतसर का स्वर्ण मंदिर में एक समारोह के दौरान पीएम मोदी लंगर में लोगों को खाना परोसते हुए (फाइल फोटो).
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