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लाखों कमाने वाला पहलवान बन गया कुली, 300 रु. के लिए पीठ पर ढो रहा बोरे..खुद के मेडल देख रोने लगता
शिमला/ चंडीगढ़. कोरोना कहर के बाद हुए लॉकडाउन की वजह से तमाम लोगों का रोजगार छिन चुका है और बहुत सारे लोग आर्थिक तंगी से परेशान हैं। जो कल तक लाखों रुपए कमा रहे थे वह दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो गए हैं। ऐसी ही एक दर्दभरी कहानी हिमाचल से सामने आई है, जहां एक पहलवान को अपने परिवार का पेट पालने के लिए कुली काम करना पड़ रहा है। आइए जानते इस पहलवान की दर्दभरी कहानी...
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तस्वीर में दिखाई दे रहे यह कांगड़ा जिले के रहने वाले नामी पहलवान 29 वर्षीय गोलू पहलवान उर्फ देशराज हैं। आज उनके हालात खराब हैं, वह परिवार का पेट पालने के लिए 10 से 12 घंटे कड़ी मेहनत करके पसीना बहा रहे हैं। कभी कुश्ती प्रतियोगिता में अच्छे-अच्छों को पटकनी देने वाले रेसलर देशराज अब अपनी पीठ पर अनाज से भरा बोरा ढोने को मजबूर हैं।
वह कभी कुश्ती प्रतियोगिता में लाखों रुपए इनाम में जीतते थे और लोग उनके साथ एक फोटो खिंचवाने के लिए मिन्नतें करते थे। लेकिन वक्त ऐसी करवट ली कि महज 500 रुपए के लिए मंडी शहर में कुली का काम करना पड़ रहा है।
गोलू पहलवान उर्फ देशराज ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा-कोरोना वायरस की वजह से सरकार ने कुश्ती प्रतियोगिता पर रोक लगा रखी है। जिसकी कारण आज ऐसे दिन देखने पड़ रहे हैं। मैंने कभी नहीं सोचा था एक दिन ऐसा भी आएगा कि मजदूरी करूंगा। उन्होंने कहा-मेरे पास जो भी जमा पूंजी थी वह लॉकडाउन के दौरान परिवार के भरण-पोषण में खर्च हो गई। लेकिन अब एक पैसा भी नहीं बचा तो पेट पालने के लिए यह काम करना पड़ रहा है।
बता दें कि 90 किलो भार और 5 फीट 9 इंच हाइट वाले गोलू पहलवान ने 5 साल पहले पहलवानी शुरू थी। इस दौरान उन्होंने भारत में होने वाली सभी कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लिया और अपना दमखम दिखाया। खासकर उत्तर भारत में होने वाली प्रतियोगता में तो वह अधिकतर मेडल जीते हैं। लेकिन लॉकडाउन में उनकी पहलवानी लॉक हो गई है।
एक कुश्ती प्रतियोगता को दौरान पुरस्कार जीतते हुए गोलू पहलवान उर्फ देशराज।
कुश्ती अखाड़े में पुरस्कार जीतते हुए गोलू पहलवान।