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यूक्रेन में एक और भारतीय MBBS छात्र की मौत, वजह हमला नहीं कुछ और, पिता बेटे के शव के साथ युद्ध में फंसे

बरनाला (पंजाब). यूक्रेन में रूस की भारी बमबारी जा रही है। दोनों देशों के बीच सात दिनों से संग्राम चल रहा है। युद्ध में फंसे भारतीय छात्रों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। इसी बीच भारत के लिए एक दुखद खबर सामने आई है। जहां बुधवार को यूक्रेन में एक भारतीय छात्र यानि पंजाब के 22 वर्षीय छात्र चंदन जिंदल की मौत हो गई है। हालांकि चंदन की मौत की वजह हमला नहीं, बल्कि गंभीर बीमारी बताई जा रही है। बता दें कि 2 फरवरी की रात चंदन ब्रेन हेमरेज और हार्ट अटैक के बाद कोमा में था और निजी अस्पताल में भर्ती था।  पढ़िए यूक्रेन में मारे गए बेटे के पिता और ताया की दर्दभरी कहानी...

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Asianet News Hindi
Published : Mar 02 2022, 07:27 PM IST| Updated : Mar 03 2022, 08:13 AM IST
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दरअसल, चंदन मूल रूप से पंजाब के बरनाला का रहने वाला था। वह यूक्रेन में विन्नित्सिया के मेमोरियल मेडिकल यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट था। वह गंभीर बीमारी से पीड़ित था, जिसका इलाज इमरजेंसी हॉस्पिटल विन्नित्सिया में इलाज चल रहा था। पिछले कुछ दिनों से वो आईसीयू में भर्ती था। अस्पताल में उनके पिता भी मौजूद थे। लेकिन बुधवार सुबह चंदन ने अंतिम सांस ली।
 

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युक्रेन से लौटे मृतक चंदन जिंदल के ताया कृष्ण कुमार ने यूकऱेन से भारत आने के लिए आ रही पऱेशानियां बताई हैं। उन्होंने बताया कि वह रोमानिया बार्डर के द्वारा भारत बहुत मुश्किलों के साथ लौटे हैं। युक्रेन में भारतीय अम्बैसी की तरफ से कोई मदद नहीं दी जा रही। जबकि रोमानिया से भारत लाने में ज़रूर भारत सरकार ने मदद की है वहीं उन्होंने बताया क़ि रोमानिया बार्डर पर भारतीय विद्यार्थियों को रोमानिया फ़ौज की धक्केशाही का शिकार होना पड़ रहा है ओर सिख संस्था खालसा एड रोमानिया बार्डर पर भारतियों के लिए लंगर और ओर सहूलतों की मदद कर रही है। मृतक नौजवान का परिवार भारत सरकार से उनके बच्चे चंदन की मृतक देह को वापस भारत लाने की मांग कर रहा है। 
 

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 ताया कृष्ण कुमार ने बताया कि उनका बच्चा चंदन जिन्दल एमबीबीएस की पढ़ाई करने युक्रेन के विनीसिया शहर गया हुआ था। जहां से उनको 2 फरवरी को संदेश मिला कि चंदन गंभीर बीमार हो गया है और उसके तुरंत आपरेशन की ज़रूरत है। जिसके बाद उनके परिवार ने परवानगी मोबायल के द्वारा दे दी थी और आपरेशन हो गया। इस उपरांत चंदन का पिता शिश्न जिन्दल और मैं अपने बच्चे की संभाले के लिए गए। उस समय युक्रेन के हालत स्थिर थे और हम युक्रेन की राजधानी कैसे एयरपोर्ट पर उतरे और अपने बच्चे चंदन के पास अस्पताल में गए।
 

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परिजन ने हम मदद के लिए भारतीय अम्बैसी के आधिकारियों के साथ संपर्क किया, परंतु उन्होंने हमें कोई भी मदद नहीं की। जबकि वहां के पढ़ाई कर रहे भारतीय बच्चों ने मदद ज़रूर की। उन्होंने बताया कि हम युक्रेन की विनीसिया स्टेट में रह रहे थे, वहां रूस -युक्रेन युद्ध का बहुत प्रभाव नहीं था। हर तरह की सेहत और ओर सुविधा मिल रही थी। जिसके बाद मैं और मेरे भाई में से एक ने घर लौटने का फ़ैसला किया और मैं वापस आया। भारत वापस आने समय बहुत ज़्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि भारत वापसी के लिए मैं रोमानिया देश के द्वारा आया।

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 विनीसिया शहर से लेकर वापस आने समय 46 ओर विद्यार्थियों के साथ 47 हज़ार युक्रेन की राशि देकर एक गाड़ी करवा कर बार्डर की तरफ आए। बार्डर तक पहुंचने के लिए 10 से 12 किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ा। रोमानिया के बार्डर पर हालात बहुत भयानक हैं। बार्डर पार करने वाले लोगों पर रोमानिया की फ़ौज की तरफ से काफ़ी धक्केशाही की जाती है और हवाई फायर भी मेरे सामने किये गए। बार्डर पर भारत के सैंकड़े विद्यार्थी कडकदी ठंड में मुसकिलों का सामना कर रहे थे। 

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उन्होंने बताया कि विनीसिया शहर से बार्डर तक का सफ़र भूखे रह कर ही निकाला, जबकि रोमानिया के बार्डर और खालसा एड सिख संस्था की तरफ से लंगर बिल्कुल मुफ़्त मिला। रोमानिया से भारत लेजाने के लिए भारत सरकार की तरफ से बहुत मदद मिली और मैं कल ही घर परता हूं। उन्होंने बताया कि आज ही युक्रेन से फ़ोन और संदेश मिला है कि मेरे भतीजे चंदन की इलाज दौरान मौत हो गई है। अब उसकी मृतक देह वापस भारत लाने के लिए यत्न कर रहे हैं। उन्होंने भारत सरकार से इस लिए मदद की मांग की।
 

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