यह है व्हीलचेयर पर बैठकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी तक पहुंचने वाली भारत की पहली लड़की
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प्रतिष्ठा बताती हैं कि उन्होंने खुद को कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि वे चल-फिर नहीं सकतीं। वे अकेले ही सफर करना पसंद करती हैं।
प्रतिष्ठा कहती हैं कि भारत में दिव्यांगों की पॉलिसी में बहुत सुधार कर जरूरत है। प्रतिष्ठा के पिता मनीष पुलिस में डीएसपी हैं।
प्रतिष्ठा बताती हैं कि एक्सीडेंट के बाद करीब 3 साल तक वे बेड पर रहीं। इसलिए उन्हें घर पर ही पढ़ाई जारी रखना पड़ी।
एक्सीडेंट के बाद प्रतिष्ठा करीब 4 महीने तक आईसीयू में भर्ती रही थीं। तब ऐसा लग रहा था कि शायद ही वे बचें।
प्रतिष्ठा ने 10वीं और 12 वीं में 90-90% प्रतिशत अंक लाकर सबको चौंका दिया था। प्रतिष्ठा कहती हैं कि मुश्किल कुछ भी नहीं है, बस हिम्मत नहीं छोड़ना चाहिए।
प्रतिष्ठा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद यूपीएससी का एग्जाम देना चाहती हैं। प्रतिष्ठा कहती हैं कि वे लोगों की भलाई के लिए काम करना चाहती हैं।
प्रतिष्ठा कहती हैं कि उनकी दिव्यंगता कभी पढ़ाई में आड़े नहीं आई। वे हमेशा खुश रहती हैं।
प्रतिष्ठा कहती हैं कि भारत में 2 करोड़ 68 लाख दिव्यांग हैं। वे पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स डिग्री के बाद इन लोगों के लिए काम करना चाहती हैं।