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राजस्थान का यह मेला इतना फेमस कि विदेशी भी आते: 2 साल बाद हुए मेले में इतनी भीड़ कि पुष्कर की गलियां हुई पैक
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दो साल बाद हुए इस पुष्कर मेले के चलते हजारों पर्यटक फिलहाल पुष्कर में ही डेरा डाले हुए हैं। यहां इतनी ज्यादा भीड़ है कि अगले 15 से 20 दिनों तक होटल में एक कमरा तक खाली नहीं है। इस फेयर का आनंद लेने बाहर से आए सैलानियों को अजमेर या अन्य आसपास के इलाकों में रुकना पड़ रहा है। यहां आने वाले विदेशी बकायदा यहां की पारंपरिक परिधान(ड्रेस) पहन कर इस मेले का आनंद उठाते है।
कोरोना के चलते प्रदेश में सभी मेलों के आयोजनों पर रोक लगा दी गई थी लेकिन अब महामारी जाने के बाद फिर से मेले का आयोजन हो रहा है। जिसके चलते पुष्कर मेलें में इतनी भीड़ है कि गलियां पर्यटकों और स्थानीय निवासियों से भरी नजर आ रही है।
आपको बता दें कि पुष्कर ही राजस्थान में एक ऐसा स्थल है जहां समूचे विश्व का केवल एक ही ब्रह्मा मंदिर है। इसके साथ ही यहां की बसावट और पर्यटन स्थलों को देखने के लिए विदेशी लोग आते रहते हैं।
करीब 8 दिन तक चलने वाले इस मेले से विदेशियों का ज्यादा ही लगाव है। वह मेले को देखते ही नहीं, बल्कि मेले में होने वाले कई आयोजन जैसे कल्चरल नाइट, इसके साथ ही गेम्स और अन्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा भी लेते हैं।
मेले की सफलता के लिए सुरक्षा में लगे सीआरपीएफ के जवानों ने भी कुछ समय के लिए मेले में अपनी भागादारी दिखाते हुए दीपों से सीआरपीएक नाम के दीपमाला बनाई। इसने मेले की सोभा और बढ़ा दी।
8 दिनी मेले के चलते पूरी पुष्कर सिटी को रंगीन रौशनी से सजा दिया गया है। ड्रोन के माध्यम से ली गई ये तश्वीर आपको हैरत में डाल देगी।रात में ऊंचाई से देखे पुष्कर का रंगीन लाइटों से भरा नजारा।
इस बार 8 दिन तक चलने वाले इस पुष्कर मेले में न सिर्फ दुकाने सजेगी इसके अलावा इस दौरान कई खेल भी शामिल किए गए है। इनमें रस्साकशी, सितोलिया, म्यूजिकल चेयर जैसे कई आयोजन होंगे।
इसमें विदेशी लोग भी हिस्सा ले रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक करीब 12 से ज्यादा देशों के 2000 विदेशी इस वक्त पर्यटक नगरी पुष्कर में मौजूद है। जो यहां मेला समाप्त होने तक रुकेंगे।
शुरुआत 1 नवंबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने की थी। इस दौरान यहां करीब डेढ़ लाख दीपक से आरती की गई थी।
इस बार पशु मेले पर रोक
पुष्कर मेले के दौरान पशु मेले का भी आयोजन होता है। लेकिन इस बार गौरव में फैल रही ग्लैंडर्स बीमारी के चलते यह पशु मेला आयोजित नहीं किया गया है। मेले में करोड़ों रुपए तक के घोड़े बिकते हैं। इन घोड़ों की अपनी ही कई खासियत होती है।