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कर्नल ने आखिरी स्टेटस में लिखा था- हिम्मत परखने की गुस्ताखी ना करना, तूफानों का रुख मोड़ चुका हूं
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बता दें कि कर्नल आशुतोष शर्मा पिछले ढाई साल से 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर थे। उन्हें पिछले साल इस जांबाजी के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया था। इससे पहले भी उन्हें एक बार और सेना मेडल दिया जा चुका है। वह अपनी जान पर खेलकर अपने साथियों की जान बचाते थे। इसलिए तो शायद वे अपने जूनियर्स के बहुत चहेते थे।
आशुतोष शर्मा की पहचान सेना के बहादुर अफसरों में होती थी। उन्होंने अपने वॉट्सऐप डीपी में अपनी फोटो ना लगाकर, उस जगह शेर की तस्वीर लगाई हुई थी।
कर्नल आशुतोष शर्मा को आतंकवाद निरोधक अभियानों में विशेष दक्षता हासिल थी। वह गार्ड्स रेजिमेंट के कर्नल काफी दिनों से घाटी में तैनात थे।
उन्होंने अपने वॉट्सऐप स्टेटस में लिखा था- 'हिम्मत को परखने की गुस्ताखी ना करना, पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हूं।'
शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा की एक बेटी है, जिसका नाम तमन्ना है, वह जयपुर के जयश्री पेडीवाल स्कूल में छठी क्लास पढ़ती है। तमन्ना की भी आखिरी बार 1 मई को पापा से बात हुई थी।
तस्वीर में- शहीद की पत्नी पल्लवी शर्मा, उनकी बुजुर्ग मां और आशुतोष के बड़े भाई पीयूष शर्मा।
कर्नल शर्मा की पत्नी ने कहा- मैं आखिरी बार आशुतोष से इसी साल 28 फरवरी को उधमपुर में मिली थी। वहीं दो दिन पहले 1 मई को उनसे आखिरी बार बात हुई थी। उस दौरान मैंने उनको राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) की 26वीं वर्षगांठ पर शुभकामनाएं दी थीं।
कर्नल शर्मा मूलत: यूपी के बुलंदशहर के रहने वाले हैं। बड़े भाई पीयूष शर्मा की नौकरी जयपुर में लगने के बाद पूरा परिवार यहां आ गया।
शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा।