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आंखों में आंसू लिए गर्भवती पैदल ही घर को निकल पड़ी, कोरोना के डर से कोई भी मदद को आगे नहीं आया
जयपुर, राजस्थान. कोरोना संक्रमण ने सारी दुनिया को अस्त-व्यस्त कर दिया है। दुनियाभर में लॉकडाउन है। भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया गया है। इस दौरान सबसे ज्यादा दिक्कत गरीबों-मजदूरों और उन लोगों को हुई, जो अपने घर से दूर दूसरे शहरों में फंस गए। यह कहानी भी ऐसी ही एक गर्भवत महिला की है, जो मजबूरी में पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़ी। रास्ते में कुछ लोगों ने थोड़ी-बहुत मदद की, लेकिन ज्यादातार कोरोना के डर से दूर ही रहे। यह महिला अपने पति के साथ भीलवाड़ा में रहती थी। भीलवाड़ा में कोरोना के सबसे ज्यादा मरीज मिले थे। इसलिए यहां टोटल लॉक डाउन किया गया था। ऐसे में यह गर्भवती डर के मारे अपने पति के साथ यूपी के एटा अपने घर की ओर पैदल ही निकल पड़ी। वो 30 मार्च को वहां से निकली। हालांकि 1 अप्रैल को जब जयपुर पहुंची, तो प्रशासन की मदद से उसे शेल्टर होम मिल गया। यहां पहुंचकर महिला फूट-फूटकर रो पड़ी। महिला ने बताया कि रास्ते में किसी-किसी ने उसे खाने को दिया, लेकिन ज्यादातर लोग कोरोना के डर से दूर ही रहे। इस महिला का नाम है लता। लता पांच महीने की प्रेग्नेंट है। लता और उसका पति सुरजीत दोनों भीलवाड़ा की एक धागा फैक्ट्री में काम करते थे। लॉक डाउन से जब फैक्ट्री बंद हुई और घर जाने का कोई साधन नहीं मिला, तो पति-पत्नी पैदल ही घर को निकल पड़े।
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