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ममता की छांव: 6 माह की पॉजिटिव बेटी को दूर से निहारती है मां, मास्क किट पहन लाडली का रखती है ध्यान
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दरअसल, यह तस्वीर उदरपुर के एमबी अस्पातल की है, जहां यहां के वार्ड नंबर 6 में यह बच्ची कोरोना के चलते भर्ती है। मासूम अपनी मां के बिना नहीं रह सकती है, इसलिए उसके लिए एक स्पेशल वार्ड बनाया गया है। जिसमें मां मास्क-दस्ताने और पीपीई किट पहनकर अपनी लाडली का दूर से ध्यान रख रही है। जब बच्ची रोने लगती है तो डॉक्टर उसकी मां को अवाज लगा देते हैं, मां को देखती ही वह चुप हो जाती है।
वहीं यह दूसरी तस्वीर राजस्थान के कुशलगढ़ की है। जहां एक संक्रमित महिला अस्पाताल में भर्ती है। जबकि, उसकी 9 महीने की बेटी की रिपोर्ट निगेटिव आई है। यह बच्ची भी अपनी मां के बिना किसी और के पास नहीं रहती है। मजबूरी में महिला दूर से ही बेटी को प्यार जताती है, लेकिन जब वो रोने लगती है तो वह पीपीई किट पहनकर उसको चुप कराने पास आ जाती है।
लॉकडाउनक के बीच दिल को झकझोर देने वाली एक तस्वीर वाराणसी सामने आई है। जहां एक बेटा अपनी बूढ़ी मां के लिए श्रवण कुमार बन गया। यह मजदूर बेटा मां को अपनी साइकिल के पीछे फलों की टोकरी में बैठकर लोगों ने उसकी मां को ले जाते देखा। बेटे का नाम शेर सिंह और मां का नाम यशोदा है।
लॉकडाउन के बीच यह तस्वीर राजस्थान के कोटा से सामने आई है। जहां सड़क पर दर्द से तड़प रही गर्भवती के लिए कोरोना वॉरियर्स फरिश्ता बनकर आए। महिला को बस बैठाया और जब लेबर पेन ज्यादा हुआ तो बस रोककर प्रसव करवाया।
यह तस्वीर राजस्थान के नागौर जिले की है। जहां एक दिन के नवजात को भी कोरना ने अपना शिकार बना लिया है। बता दें कि बच्चे को जन्म देने वाली मां भी संक्रमित है, दोनों को अलग-अलग वार्ड में रखा गया है। शिश का ध्यान अस्पताल की नर्सें रख रही हैं।
यह तस्वीर राजधानी भोपाल की है। जब बिहार के रहने वाले इस मजदूर को पता चला कि वह अब अपने घर जा सकता है तो वह घर जाने की खुशी में 10 किलोमीटर दूर से स्टेशन के लिए पैदल ही चल पड़ा
यह तस्वीर राजस्थान की राजधानी जयपुर की है। जहां एक मासूम बच्चा अपने घर बिहार जाने के लिए बस में बैठने के लिए जा रहा है।