जन्म के 3 दिन तक बेटे को नहीं देख पाई मां, गोद में लेते ही बिलख पड़ी
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दरअसल, 23 अप्रैल को गर्भवती महिला शाहिना बानो की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, जिसके चलते उसे जयपुर के एसएमएस अस्पताल जयपुर में भर्ती किया था। फिर एक हफ्ते बाद जब उसकी दोबारा जांच की गई तो रिपोर्ट दो बार निगेटिव आई। इसके बाद उसे जनाना वार्ड में शिफ्ट कर दिया। जहां 29 अप्रैल को उसने एक बच्चे को जन्म दिया। सुरक्षा के चलते डॉक्टरों ने नवजात को मां से तीन तक दूर रखा। कल जब महिला ने अपने बेटे को पहली बार देखा तो वह उसे देखते ही फूट-फूटकर रोने लगी और उसके अपने सीने से लगा लिया। करीब पांच मिनट तक उसने बच्चे को गले से लगाए रखा। नम आंखों से बोली-सचमुच डॉक्टर खुदा के रूप हैं, अगर वह नहीं होते तो पता नहीं मेरे बच्चे का क्या होता। मैं इस पल को बयां नहीं कर सकती हूं, मेरे बेटे को देखकर। कुछ कहने के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं हैं।
वहीं संकट के समय में यह दूसरी तस्वीर कोटा की है। जहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चों को जब एक ट्रेन झारखंड अपने घर के लिए रवाना हुई तो वह मुस्कुराते हुए नजर आए।
यह तस्वीर राजस्थान-पंजाब बॉर्डर की है, जहां साधुवाली गांव में बने क्वारेंटाइन सेंटर में पंजाब के 102 मजूदर ठहरे हैं। वह अपनी सरकार से रोते हुए यही कह रहे हैं कि उनकी दो बार जांच हो चुकी है, उनको कोई कोरोना नहीं है, फिर भी हमें क्यों घर नहीं आने दिया जा रहा है।
यह तस्वीर भोपाल की है। जहां सेना का एक जवान साइकिल से शहर में घूमा और लोगों से लॉकडाउन के दौरान घरों में रहने की अपील की। इतना ही नहीं सैनिक ने लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक भी किया।
यह तस्वीर राजस्थान के अलवर शहर की है। जब प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के लिए रवाना किया गया तो वह बहुत खुश नजर आए।