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शहीद की बेटी बोली-पापा मेरी शादी में आने का वादा कर गए थे...अब तिरंगे में लिपट आ गए, उनकी शहादत पर गर्व है
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शहीद की बेटी प्रिया ने कहा कि पूरे परिवार को पापा की शहादत पर गर्व है। ड्यूटी पर जाने से पहले पापा मेरी शादी में आने की बात कह कर गए थे लेकिन ऐसा नहीं सोचा था कि वह अब तिरंगे में लिपट कर ही घर लौटेंगे। प्रिया ने कहा कि पापा के शहीद होने का दुख भले ही है लेकिन उससे ज्यादा गर्व इस बात का है कि उन्होंने देश पर होने वाला एक बड़ा हमला नाकामयाब कर दिया। बता दे कि शहीद जवान की बेटी प्रिया जिसकी 3 महीने बाद शादी होनी है। उसने अपनी मां को संभाला और पूरे परिवार के लोगों को ढांढस बंधाया।
जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले में शहीद हुए झुंझुनूं के लाल राजेंद्र का तिरंगें में लिपटा पार्थिव देह आज उनके आज यानि शनिवार 13 अगस्त के दिन उनके पैतृक गांव माली गांव में हुआ। शहीद का यही अंतिम संस्कार हुआ है। जहां उनकी अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए।
शहीद राजेंद्र का पार्थिव देह कल रात करीब 1:00 बजे चिड़ावा थाने पहुंच गया था। आज सुबह 8:00 बजे के करीब पार्थिव देह तिरंगा यात्रा के साथ हजारों लोगों की मौजूदगी में उनके पैतृक गांव के लिए रवाना हुई। जवान की पार्थिव देह को सलामी देने के लिए ग्रामीण सड़क किनारे हाथों में तिरंगे लेकर खड़े रहे। जवान की पार्थिव देह को तिरंगा यात्रा के साथ उनके गांव पहुंचने में करीब 3 घंटे का समय लग गया।
शहीद राजेन्द्र प्रसाद के माता-पिता को जब बेटे के शहीद होने की जानकारी मिली तो उनके आंसू नहीं रूक रहे थे। आखिरी बार जब मां अपने बेटे के अंतिम दर्शन के लिए पहुंची तो बेटे को गौर से निहारा और शहीद को दुलार करते हुए बेटे को अंतिम यात्रा के लिए विदा किया।
शहीद का पार्थिव देह जैसे ही घर पहुंचा अपने पति को देखकर पत्नी तारामणि बेहोश हो गई। दोनों बेटियों ने पिता को इस हाल में देखा तो उनके भी सब्र का बांध टूट पड़ा और और जोर-जोर से रोनें लगीं। वहां मौजूद परिजनों ने उन्हें संभाला।
राजौरी में शहीद हुए जवान राजेंद्र की बेटी की नवंबर महीने में शादी होनी थी। पूरा परिवार शादी के तैयारियों में लगा हुआ था। शादी के लिए ही घर में रिनोवेशन का काम भी चलाया गया था। राजेंद्र खुद भी नवंबर में बेटी की शादी में शामिल होने के लिए आने वाले थे। लेकिन घर में चल रही शादी की तैयारियों के बीच ही उनकी शहादत हो गई। जहां कुछ महीनों में शादी की शहनाई की गूंजने वाली थी। वहीं पूरे गांव में केवल चीखें ही सुनाई दे रहीं थी।
शहीद राजेंद्र प्रसाद के तीनों बच्चों अपने पिता के अंतिम दर्शन के लिए हाथों में तिरंगा लेकर पहुंचे। पहले उन तीनों ने तिरंगे को अपने सीने पर लगाया और फिर अपने पिता के अंतिम दर्शन कर उन्हें प्रणाम किए।
राजस्थान के बेटे शहीद सूबेदार राजेन्द्र प्रसाद का शनिवार को अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ हुआ। शहीद को उनके 9 साल के बेटे ने मुखाग्नि दी। नाबालिग बेटे को मुखाग्नि देता देख मौके पर मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गई।