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10 तस्वीरों में देखिए राजस्थान में कैसे उग्र हुआ गुर्जर आंदोलन, पटरियों को उखाड़..वहीं सोए रातभर
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दरअसल, गुर्जर समाज के लोगों ने कुछ दिन पहले ही 1 नंवबर से आंदोलन करने की चेतावनी दी थी। रविवार दोपहर तक तो समुदाय के लोग शांति से धरना देते रहे, लेकिन शाम होते ही इस आंदोलने उग्र रूप धारण कर लिया। बयाना, भरतपुर, कोटा और करौली में तोड़फोड़ जैसी घटनाएं भी सामने आई हैं। हालांकि राजस्थान सरकार ने बड़ी मात्रा पुलिस फोर्स और प्रशासनिक अफसरों का अमला तैनात किया है।
बता दें कि शनिवार को आंदोलनकारियों के एक गुट और सरकार के बीच बातचीत हुई थी। इसमें दोनों पक्षों में 14 बिंदुओं पर सहमति बनी थी। इसमें कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला शामिल नहीं हुए थे। ऐसा लग रहा था कि इसके बाद आंदोलन की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बता दें कि 2007 में इस आंदोलन के हिंसक होने पर 26 लोग, जबकि 2008 में 37 लोगों की मौत हो गई थी।
जिस तरह से राजस्थान में गुर्जर आंदोलन उग्र होता जा रहा है। उसको देखकर लगता है कि सोमवार को होने जा रहे विधानसभा के विशेष सत्र में केंद्रीय कृषि कानूनों में संशोधन के अलावा गुर्जर आंदोलन की गूंज सुनाई देगी।
राजस्थान में करौली, भरतपुर, सवाई माधोपुर, दौसा, धौलपुर जिलों के अलावा भीलवाड़ा का आसींद और सीकर का नीम का थाना तथा झुंझुनूं के खेतड़ी इलाके गुर्जर बाहुल्य हैं। यहां आंदोलनकारी दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक और सड़क जाम कर रहे हैं। रविवार को गुर्जर आंदोलनकारियों के भरतपुर के पीलूपुरा में पड़ाव डालने की सूचना के बाद प्रशासन सतर्क हो गया था। गुर्जर बाहुल्य 4 जिलों दौसा, करौली, सवाई माधोपुर और भरतपुर में अगले आदेश तक इंटरनेट बंद कर दिया गया है। किसी भी स्थिति से निपटने अलग-अलग फोर्स की 19 कंपनियां अलग-अलग जिलों में भेजी गई हैं।
ये हैं राजस्थान के गुर्जरों की मांगें...
1. राजस्थान के गुर्जर चाहते हैं कि बैकलॉग की भर्तियां निकालनी जाएं और उन भर्ती में गुर्जरों को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।
2.एमबीसी कोटे से भर्ती हुए 1200 कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
3.आरक्षण को केन्द्र की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
4. आंदोलन के सभी शहीदों के परिजन को सरकार के वादे के मुताबिक नौकरी, मुआवजा दी जाए।
5. आंदोलन के दौरान दर्ज सभी मुकदमों को वापस लिया जाए।
बता दें कि गुर्जरों ने अब सरकार का वार्ता प्रस्ताव ठुकरा दिया है और आंदोलन की राह थाम ली है। करौली जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने गुरुवार को गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के किरोड़ी सिंह बैंसला एवं विजय बैंसला सहित अन्य सदस्यों से मिलकर उन्हें राज्य सराकार द्वारा निर्धारित की गई समझौता वार्ता में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन समिति ने जाने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी वह आंदोलन करते रहेंगे।
वहींआंदोलन के लिए गुर्जर नेता रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। जिससे गहलोत सरकार की हार्ट बीट बढ़ गई है।
बयाना-हिंडौन रोड पर आती-जाती गाड़ियों रोकते हुए गुर्जर समाज के लोग।
गुर्जर समाज के लोगों ने सुबह के समय ट्रैक पर ही चूल्हा जला लिया और चाय-पानी, बिस्किट की व्यवस्था भी यहीं पर की गई। इतना ही नहीं दोपहर से लेकर रात का भोजन भी आंदोलनकारी पटरी पर ही बनाने की योजना है।
बता दें कि प्रशासन ने गुरुवार रात से ही भरतपुर और करौली जिले समेत कई शहरों की इंटरनेट सेवा बंद कर दी है। प्रशासन इनकी हर गतिविधि पर नजर रखे हुए है और जगह-जगह पुलिस बल तैनात कर दिया गया।
बता दें कि गुर्जर समाज के इस आंदोलन में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। जो सड़क जाम से लेकर रेल की पटरियों पर धरना प्रर्दशन कर रहे हैं।