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ये हैं सांसद की बेटी..खूबसूरती मॉडल से कम नहीं, लेकिन मेहनती इतनी कि आर्ट्स सब्जेक्ट लेकर बन गईं IAS
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दरअसल, सोमवार को यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट जारी किया है, इस लिस्ट में में अंजलि 67वें नंबर पर हैं। सबसे खास बात यह है कि अंजलि का पहली बार में ही आईएएस की परीक्षा में चयन हुआ है।
प्रशासनिक सेवा में जाने के बाद अंजलि महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करना चाहती हैं। अंजलि ने कहा कि उनका बचपन से यही सपना था कि वह बड़ी होकर गरीबों और महिलाओं के लिए काम करूं। सिविल सर्विसेज में चयन होने के बाद ओम बिरला के कोटा स्थित शक्तिनगर के आवास पर जश्न का माहौल बना हुआ है।
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की पत्नी अमिता बिरला ने अपनी बेटी को मिली इस कामयाबी पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि वह शुरू से ही कुछ अलग करने का मन में ठान कर चल रही थी और पहली बार में ही आईएएस की परीक्षा में सलेक्शन होने पर पूरे परिवार में खुशी का माहौल है।
अंजलि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की सबसे छोटी बेटी हैं। अंजिल ने अपनी कामयाबी का श्रेय पिता और बड़ी बहन को दिया है। अंजली ने कहा कि मेरे पापा मेरी जिंदगी के आर्दश हैं, उनके नेक कामों को देखकर और उनकी प्रेरणा से ही वह आज इस शिखर तक पहुंची हैं। माता-पिता ने यहां तक पहुंचने के लिए पूरा सपोर्ट किया है। ओम बिरला और डॉ. अमिता बिरला की दो बेटिया हैं, बड़ी बेटी आकांक्षा जो कि सीए हैं।
बता दें कि अंजलि बचपन से पढ़ने में होशियार थी, 10वीं की परीक्षा में उनके अच्छे नंबर आए थे। इसके बाद भी जब उन्होंने साइंस लेने के बजाए आर्ट्स ली, तो सब हैरान थे। कोटा के सोफिया स्कूल से आर्ट्स में 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद दिल्ली के रामजस कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस एडमिशन ले लिया। अंजलि ने बताया कि कॉलेज आने के बाद ही उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने का सोचा था। कॉलेज में ऑनर्स डिग्री हासिल करने के बाद मैंने दिल्ली में रहकर ही यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की। सबसे खास बात यह है कि अंजलि बिरला का पहली बार में ही आईएएस की परीक्षा में चयन हो गया। उनका नाम वेटिंग लिस्ट में था, जो अब क्लियर हुआ है।
अंजलि ने कहा कि कोटा में अभिभावक आमतौर पर बच्चों को साइंस या मैथ्स लेने के लिए कहते हैं। जबकि ऐसा नहीं है, बच्चों को जो अच्छा लगे वही दिलाना चाहिए। क्योंकि साइंस या मैथ्स विषयों के इतर भी बहुत बड़ी दुनिया है। मैंने सिविल सेवा परीक्षा के अलावा कोई लक्ष्य ही नहीं रखा था। जिसको मैंने अपनी करियर का उद्देशय बनाया और वह हासिल हो गया। अगर मैं भी किसी और के कहने पर दूसरा विषय ले लेती तो यहां पर नहीं होती।
अंजलि ने कहा अगर मेरी बड़ी दीदी आकांक्षा मेरे साथ मेहनत नहीं करती तो शायद वह इस मुकाम तक नहीं पहुंच सकती थी। उन्होंने मुझे पढ़ाया और हर समय मोटिवेट किया वो हर वक्त मेरे साथ रहती थीं। वो अपना काम निपटा लेने के बाद मेरी तैयारी में जुट जाती थीं। यहां तक कि उन्होंने सिविल परीक्षा से लेकर इंटरव्यू तक की रणनीति बनाने में पूरी मदद की। जब मैं निराश हो जाती तो वह मेराहौसला बढ़ाती थीं।
बेटी की इस सफलता से माता-पिता से लेकर पूरा परिवार खुश है। रिजल्ट आने के बाद अंजिल मां ने अपनी बेटी का फूलों से स्वागत कर तिलक लगा आरती उतारी। साथ ही आर्शीवाद दिया कि ऐसे ही कामयाबी पाते रहो।
अंजली ने बतया कि मेरे परिवार में पिता राजनीतिज्ञ हैं और मां चिकित्सक हैं। जबकि मेरी बड़ी बहन एक सीए है, लेकिन मैंने इन सबके बावजूद प्रशासनिक सेवाओं के क्षेत्र में जाने के मन बनाया। जिसके लिए वह प्रतिदिन 10 से 12 घंटे परीक्षा की तैयारी करती थीं। क्योंकि मैं भी चाहती थी कि अपने परिवार से अलग होकर अपनी मेहनत से स्वयं के पैरों पर खड़ा हो सकूं। मेरे जीवन का लक्षय था गरीबों की मदद और समाज की सेवा करना।