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मौत से पहले हड्डियों का ढांचा रह गया था ये एक्टर, आखिरी वक्त में तीन-तीन बीमारियों ने ले जी जान
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लिवर की बीमारी के चलते रामी का ज्यादा वक्त घर पर ही बीतता था और धीरे-धीरे वो पब्लिक में जाने से बचने लगे। हालांकि, एक बार वो एक इवेंट में नजर आए थे, जहां उन्हें पहचानना मुश्किल हो गया था।
दरअसल, रामी उस दौरान काफी कमजोर और दुबले-पतले नजर आए थे, जब वो एक तेलुगु अवॉर्ड फंक्शन में पहुंचे थे। उन्हें देख कर कोई भी यकीन नहीं कर पा रहा था कि ये वही रामी रेड्डी हैं, जो फिल्मों में काम कर चुके हैं।
रामी को लिवर के बाद किडनी की बीमारी ने भी घेर लिया था, जिसकी वजह से मौत के पहले वो सिर्फ हड्डियों का ढांचा रह गए थे। कहा जाता है कि आखिरी वक्त में उन्हें कैंसर भी हो गया था।
कुछ महीनों तक इलाज चलने के बाद 14 अप्रैल, 2011 को सिकंदराबाद के एक प्राइवेट अस्पताल में रामी रेड्डी ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
रामी रेड्डी का पूरा नाम गंगासानी रामी रेड्डी था। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित वाल्मीकिपुरम गांव में उनका जन्म हुआ था। रामी रेड्डी ने हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और जर्नलिज्म की डिग्री ली।
इतना ही नहीं, उन्होंने हैदराबाद के मशहूर अखबार मुंसिफ डेली के लिए काफी वक्त तक बतौर पत्रकार काम भी किया था।
रामी रेड्डी ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में काम किया। इनमें वक्त हमारा है, ऐलान, दिलवाले, खुद्दार, अंगरक्षक, आंदोलन, हकीकत, अंगारा, रंगबाज, कालिया, लोहा, चांडाला, हत्यारा, गुंडा, दादा, जानवर, कुर्बानियां और क्रोध जैसी फिल्में प्रमुख हैं।
संजय दत्त और गोविंदा की फिल्म आंदोलन में उनके द्वारा निभाया गया बाबा नायक का किरदार आज भी लोगों को अच्छी तरह याद है। बाबा नायक के किरदार में रामी रेड्डी ने जान डाल दी थी।
रामी रेड्डी का विलेन के रोल में ऐसा आतंक था कि असल जिंदगी में भी लोग उनसे डरने लगे थे।