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परिवार की नाराजगी और लोगों की धमकियों के बाद भी इस एथलिट ने निभाया अपना समलैंगिक रिश्ता
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ओडिशा में बुनकरों के परिवार में जन्मीं दुती चांद जब 4 साल की थी, तब से उन्होंने दौड़ना शुरू कर दिया थी। उनकी बड़ी बहन सरस्वती चंद उनकी प्रेरणा थीं, वह एक स्टेट लेवल रनर थी।
दुती का एथलिटी बनने का सपना इतनी आसानी से पूरा नहीं हुआ। शुरुआती ट्रेनिंग के दौरान उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा क्योंकि वह नंगे पांव दौड़ती थी।
कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से उनका एथलीट बनने का सपना सच हुआ। 2012 में अंडर -18 कैटेगरी में दुती नेशनल चैंपियन बनीं। उन्होंने 100 मीटर रेस में 11.2 सेकंड का समय लिया। इसके बाद उन्होंने पुणे में आयोजित एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2013 में 'महिला 200 मीटर इवेंट' में कांस्य मैडल जीता था। उसी साल वर्ल्ड यंग चैंपियनशिप में 100 मीटर एथलेटिक्स के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय भी बनीं।
ये खिलाड़ी उस वक्त सुर्खियों में आई थी जब उन्होंने खुलासा किया था कि वह समलैंगिक है और पिछले पांच सालों से एक लड़की के साथ रिलेशन में हैं।
शरीर में अधिक पुरुष हार्मोन (टेस्टोस्टेरोन) होने की वजह से उन्हें जुलाई 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ खेलों के कुछ दिन पहले ही अयोग्य करार दिया गया था। हालांकि कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने दुती के पक्ष में फैसला सुनाया जिसके बाद उन्होंने रिओ ओलिंपिक और दूसरी बड़ी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।
इटली में जुलाई 2019 में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में उन्होंने इतिहास रच दिया। वह महिलाओं के ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली महिला बनीं। दुती ने 100 मीटर रेस को महज 11.32 सेकंड में पूरा कर लिया था।
अपने रिलेशन के बारे में दुती बताती हैं कि गोपालपुर गांव में जहां वह पली-बढ़ी, उनकी पार्टनर भी उसी गांव में रहती थी। दोनों शुरुआत में तो केवल दोस्त थीं लेकिन अब पिछले कुछ सालों से वह उनके साथ एक सीरियस रिश्ते में हैं।
LGBTQ को भले भी सुप्रीम कोर्ट ने जायज करार दे दिया हो, लेकिन समाज में आज भी इसे हीन भावना से देखा जाता है। दुती के घर वालों को भी उनका रिश्ता मंजूर नहीं था। गांववालों ने इस संबंध को स्वीकार नहीं किया। दुती और उनकी पार्टनर का गांव में रहना मुश्किल हो गया था।
हालांकि दुती किसी हालात में अपनी पार्टनर को छोड़ने को तैयार नहीं थी। वो कहती हैं 'प्यार सच्चा और गहरा हो तो कठिनाइयों से लड़ने का हौसला मिल जाता है। दिल एक ही बार दिया जाता है और मैं दे चुकी हूं। अब कोई कितना भी विरोध करे मैं अपने फैसले पर अटल हूं।'
परिवार की नाराजगी और समाज की धमकियों का सामना करके वह डटी रहीं और आज तक अपने पार्टनर के साथ रिश्ते को कायम रखे हुए हैं।