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ऐसे हुई गुपचुप प्लानिंग! मिशन से अमरीका भी अंजान, सेना की वर्दी में कलाम का नाम कर्नल पृथ्वीराज रखा क्योंकि...
ट्रेंडिंग डेस्क। Abdul Kalam Death Anniversary: भारत में मिसाइलमैन के नाम से मशहूर दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का निधन आज ही के दिन यानी 27 जुलाई 2015 को हुआ था। उनका पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम है। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम स्थित पमबान आइसलैंड पर हुआ था, तब यह मद्रास प्रेसिडेंसी के तहत आता था। अब यह तमिलनाडु राज्य का हिस्सा है। परमाणु परीक्षण को भले ही 24 साल हो गए हैं, मगर तब भी जब अमरीकी खुफिया एजेंसी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी, यानी सीआईए जो तमाम तकनीक से लैस थी, उसे भी कलाम साहब ने गच्चा दे दिया और अंत समय तक उसे इस परीक्षण से अंधेरे में रखा था। 11 मई 1998 को जब यह परीक्षण हुआ तब अब्दुल कलाम साहब डीआरडीओ के मुखिया थे। आइए तस्वीरों में अब्दुल कलाम से जुड़े इस मिशन और इसकी प्लानिंग के बारे में जानते हैं।
/ Updated: Jul 27 2022, 09:02 AM IST
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भारत ने राजस्थान के पोखरण में 11 मई 1998 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के नेतृत्व में परमाणु परीक्षण किया था। यही वह दिन था, जब अमरीका सहित तमाम देशों को यह पता लग गया था कि भारत परमाणु ताकत से लैस देश हो चुका है।
इस परीक्षण को करीब 24 साल हो चुके हैं। तब अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए यह पता लगाने की हर संभव कोशिश कर रही थी कि भारत आखिर गुपचुप तरीके से किस बड़ी योजना को अंजाम देने वाला है। मगर उसकी यह कोशिश सफल नहीं हुई।
अब्दुल कलाम तब डीआरडीओ के प्रमुख थे और परीक्षण के दौरान वह सेना की वर्दी में थे। तब सीआईए पाकिस्तान को खुलकर समर्थन देता था। भारत में सभी को यह बात अच्छी तरह से पता थी।
परमाणु परीक्षण की जानकारी सीआईए किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहता था। ऐसे में उसने तमाम तकनीक इस्तेमाल कर ली। उसे लग रहा था कि 1974 के बाद परमाणु परीक्षण कर रहा है, मगर उसके हाथ सबूत नहीं लग रहा था।
दरअसल, अब्दुल कलाम ने इतने गुपचुप तरीके से पूरी प्लानिंग की थी कि इसकी भन बाहर तो क्या देश में भी किसी को नहीं लग सकी। इस मिशन की जानकारी तत्कालीन प्रधानमंत्री और अब्दुल कलाम के अलावा कुछ खास लोगों को ही थी।
तब सीआईए के जरिए पाकिस्तान को भी अंदेशा था कि भारत परमाणु परीक्षण करने वाला है और इसकी भूमिका उसने पहले ही बना ली। तब पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री गौहर अयूब खान ने पूरी दुनिया की हस्तियों से अपील की कि इस प्लानिंग को किसी भी तरह रोका जाए।
बहरहाल, कोई चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था, क्योंकि किसी के पास इस बात के सबूत नहीं थे कि भारत परमाणु परीक्षण जैसा कोई बड़ा कदम उठाने जा रहा है।
हालांकि, दुनियाभर में लोगों को तब भारतीय सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने यह बात कहकर सबको चौंका दिया था कि अब समय आ गया है, जब भारत को परमाण परीक्षण करना चाहिए। इसके बाद ही दूसरे देश अलर्ट मोड पर आ गए थे।
वैसे बाद में दावा किया गया कि भारत करीब डेढ़ साल से इसकी तैयारी कर रहा था और यह सब कुछ राजस्थान के पोखरण नामक गांव में होने वाला है। इस मिशन में सीआईए को मूर्ख बनाने के लिए अब्दुल कलाम ने सब कुछ ऐसा किया, जैसा वहां नॉर्मल दिनों गतिविधि होती है।
तब अब्दुल कलाम को उस समय खास नाम दिया गया, कर्नल पृथ्वीराज। इस दौरान वह कभी भी समूह में टेस्ट साइट पर नहीं गए। वह हमेशा सेना की वर्दी में वहां अकेले ही वहां जाते, जिससे किसी को शक नहीं हो।