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अगर आपके बच्चे को हो रहा बार-बार बुखार तो हो जाएं सावधान, कहीं कोरोना तो नहीं, जानें बच्चों में लक्षण
भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर काफी खतरनाक साबित रही। एक्सपर्ट्स भले ही कह रहे हों कि अब इसकी दूसरी लहर खत्म होने की पीक पर है, लेकिन इससे संक्रमण के मामले अभी भी कम नहीं हुए हैं। पिछले 24 घंटे में इससे 3.11 लाख नए मामले सामने आए हैं। हर दिन 3 लाख से ज्यादा केस आ रहे हैं। ऐसे में बताया जा रहा है कि इसकी पहली लहर में बूढ़े लोग और दूसरी में युवा वर्ग के लोग ज्यादा संक्रमित हुए थे। अब तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमण की आशंका जताई जा रही है। इसी बीच सरकार की ओर से बच्चों में कोविड के लक्षण और देखभाल करने के तरीके बताए हैं। आइए जानते हैं...
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डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चों में कोविड-19 के लक्षण बहुत कम या तो बिल्कुल भी नहीं देखने के लिए मिल रहे हैं। ऐसे में उनके अंदर लक्षण की पहचानकर समय पर इलाज करना जरूरी है। केंद्र सरकार के ट्विटर हैंडल MyGovIndia पर इसे लेकर जानकारी शेयर की गई है।
MyGovIndia के ट्विटर हैंडल पर शेयर किया गया है पोस्टर
MyGovIndia पर शेयर किए गए पोस्टर में एक्सपर्ट्स के हवाले से बताया गया है कि जो बच्चे कोविड-19 से प्रभावित हैं, उनमें हल्का बुखार, खांसी, जुकाम, मांसपेशियों में दर्द होना, दस्त, गले में खराश, थकान और लगातार नाक का बहना जैसे लक्षण शामिल हैं। इसके साथ ही उनमें पेट से जुड़ी समस्या भी देखने के लिए मिल रही है।
बच्चों में देखने के लिए मिल रहा नया सिंड्रोम
इसके अलावा बताया जा रहा है कि बच्चों में एक नया सिंड्रोम मल्टी सिस्टम इनफ्लेमेटरी सिंड्रोम देखने के लिए मिल रहा है। इसकी पहचान लगातार बुखार, SARS CoV-2 है। मल्टी सिस्टम इनफ्लेमेटरी सिंड्रोम के लिए क्लिनिकली फीचर्स की सलाह दी जा रही है।
सिंड्रोम के सामान्य लक्षण
मल्टी सिस्टम इनफ्लेमेटरी सिंड्रोम में फेफड़े, दिल, गुर्दे, पाचन तंत्र, स्कीन और आंखों में इंफेक्शन और सूजन जैसे लक्षण भी शामिल हैं।
हेल्थ एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?
इसके अलावा हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर घर में कोई सदस्य कोरोना पॉजिटिव आए तो बच्चों में भले ही इसके संक्रमण के लक्षण ना दिखाई दें फिर भी उनकी स्क्रीनिंग करवानी चाहिए। इससे कोविड फैलने की संभावना कम हो जाती है और ये भी होता है कि अगर वो पॉजिटिव होगा तो समय पर इलाज शुरू हो जाएगा।
होम आइसोलेशन में रखकर कर सकते हैं इलाज
अगर बच्चों में खांसी, बुखार, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द या पेट से जुड़ी समस्याएं होने पर उन्हें जांच की कोई जरूरत नहीं है। ऐसे में बच्चों को होम आइसोलेशन में रखकर उनका इलाज किया जा सकता है।
डॉक्टर्स की सलाह
डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि बच्चों को बुखार आने पर उन्हें हर 4-6 घंटे पर पैरासिटामोल 10-15 एमजी या केजी की खुराक दे सकते हैं। वहीं, अगर गले में जरा भी खरास हो तो ऐसे में बच्चे और बड़े दोनों ही गर्म पानी और नमक के गरारे कर सकते हैं।
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