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किसी के साथ युद्ध हुआ तो किसी के साथ संधि, आजादी के बाद इस तरह भारत में शामिल हुए थे ये 7 राज्य

नई दिल्ली. हिन्दुस्तान आज (15 अगस्त, 2021) को अपनी आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा है। 15 अग्सत 1947 को देश को स्वतंत्रता मिली थी। लेकिन भारत जैसा आज दिखाई देता है 1947 में इस तरह नहीं था। आजादी मिलने के बाद भी कई राज्यों ने भारत में मिलने से इंकार कर दिया था। कई ऐसे राज्य या रजवाड़े थे जो देश की स्वतंत्रता के वक्त खुद को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं। धीरे-धारे ये राज्य देश में शामिल हुए।  आइए जानते हैं 7 ऐसे राज्यों या रजवाड़ों के बारे में जो आजादी के कई सालों के बाद भारत में शामिल हुए।  

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Asianet News Hindi
Published : Aug 15 2021, 02:12 PM IST
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गोवा
गोवा में अंग्रेजों का कब्जा नहीं था। 15वीं शताब्दी से ही यहां पुर्तगालियों ने कब्जा कर रखा था। 1947 में भारत के आजाद होने के बाद लगातार भारत पुर्तगाल से गोवा को लौटाने की मांग करता रहा लेकिन इसे नहीं लौटाया गया।  गोवा की आजादी के लिए लंबे समय तक आंदोलन चले जिसके बाद 19 दिसंबर, 1961 को गोवा को आजादी मिली और वो भारत का हिस्सा बन गया। (फोटो- तिरंगे के साथ भारतीय सेना)

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हैदराबाद
हैदराबाद पर निजाम का शासन था। यहां के निजाम शासकों ने भारत और पाकिस्तान के साथ संधि करने से इंकार कर दिया था। लेकिन वहां की जनता भारत के साथ जाना चाहती थी। जिसके बाद देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने हैदराबाद पर सैन्य कार्रवाई का आदेश दिया। 13 सितंबर, 1948 को ऑपरेशन पोलो के तहत हैदराबाद से युद्ध लड़ा गया और जीत मिली और भारत में शामिल हुआ। ( फोटो- हैदराबाद के निजाम और देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल )

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जूनागढ़
गुजरात के जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान का झुकाव पाकिस्तान की तरफ था। लेकिन जनता भारत में विलय चाहती थी। फरवरी, 1948 में यहां एक जनमत संग्रह हुआ, जिसमें जनता ने भारत में रहने के पक्ष में वोट किया और फिर जूनागढ़ भारत का हिस्सा बना।  (फोटो- जूनागढ़ का किला)

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जम्मू-कश्मीर
भारत की आजादी के दौरान जम्मू और कश्मीर पर महाराजा हरि सिंह का शासन था। हरिसिंह भारत या पाकिस्तान के साथ जाने के बजाए स्वतंत्र रहना चाहते थे। लेकिन पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में गिल्गित बाल्टिस्तान के कबीलाई लड़ाकों के साथ मिलकर कश्मीर घाटी पर हमला कर दिया।  जिसके बाद उन्होंने भारत से मदद मांगी, मदद के बदले में उन्होंने इंस्ट्रमेंट ऑफ एक्सेशन पर हस्ताक्षर किया। (फोटो- जम्मू-कश्मीर में तैनात भारतीय सेना)

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सिक्किम
सिक्किम में चोग्याल वंश का शासन था। सिक्किम भारत का एक प्रोटेक्टोरेट स्टेट था। उस समय प्रोटेक्टोरेट स्टेट का मतलब था कि भारत सिक्किम की रक्षा की जिम्मेदारी लेता था। 1975 में वहां के राजनीतिक हालात बिगड़ गए। जवाब में भारतीय सेना ने मोर्चा संभाला और एक जनमत संग्रह हुआ, जिसमें ज्यादातर लोगों ने राजशाही को खत्म करने और भारत के साथ मिलने पर वोट दिया।  इसके बाद 16 मई, 1975 को सिक्कम भारत में शामिल हुआ। 

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त्रावणकोर राज्य
त्रावणकोर मतलब आज के केरल का ज्यादातर हिस्सा। त्रावणकोर रियासत खुद को अलग मानती थी। लेकिन भारत के दबाव के बाद त्रावणकोर ने 1 जुलाई, 1949 को इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर हस्ताक्षर कर दिए और भारत में शामिल हुआ। 
 

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भोपाल 
मध्यप्रदेश की मौजूदा राजधानी भोपाल भी आजादी के समय भारत के साथ नहीं था। भोपाल के राजा हमीदुल्ला खां की मोहम्मद अली जिन्ना से नजदीकी थी। भोपाल राज्य  भी भारत में शामिल नहीं होना चाहता था। बाद में इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर सबसे आखिर में हस्ताक्षर किए और 1 मई, 1949 को भोपाल भारत का हिस्सा बना। 
 

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