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इस नदी में पानी के साथ-साथ बहता है सोना, देखने वाला भी रह जाता है दंग, जानें क्या है इसका रहस्य
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यह है झारखंड में बहने वाली स्वर्णरेखा नदी। जिसमें पानी के साथ-साथ स्वर्ण कंकड़ भी बहते हुए नदी किनारे आ जाते हैं और तमाड़ और सारंडा जैसे इलाके के लोग यहां सुबह उठकर आते हैं और सोने के कण को इकट्ठा करते हैं।
स्वर्णरेखा नदी रांची नगर से 16 किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित नगड़ी गांव में रानी चुंआ नामक स्थान से निकलती है और उत्तर पूर्व की ओर बढ़ती हुई मुख्य पठार को छोड़कर जलप्रपात के रूप में गिरती है। इसके उद्गम स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर आकर्षण का केंद्र भी बनाया गया है।
इस नदी के बारे में मान्यता है कि ये नदी और किसी नदी में नहीं मिलती है बल्कि 474 किलोमीटर की दूरी तय कर सीधे बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है। रास्ते में दर्जनों छोटी-बड़ी नदियां स्वर्णरेखा में आकर मिलती हैं।
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भू वैज्ञानिकों का मानना है कि नदी के साथ सोने के कण बहने का कारण यह है कि नदी चट्टानों से होकर गुजरती है। इस वजह से इसमें कई बार सोने के कण मिलते हैं। हालांकि, अभी तक इस बात के सबूत नहीं मिले हैं।
वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि नदी के आसपास संभवत कोई सोने की खदान है और नदी उन तमाम जगह के बीच से होकर गुजरती है, इसलिए इस नदी में सोने के कण मिलते हैं।
इतना ही नहीं स्वर्ण नदी के अलावा इसकी सहायक नदी कांची और करकरी की रेत में भी कई बार सोने के कण मिलते हैं लोगों का कहना है कि स्वर्णरेखा नदी में जो सोने के कण पाए जाते हैं वह कई बार बहकर इन नदियों तक पहुंच जाते हैं।
यहां के स्थानीय लोग सुबह से उठकर दिन भर सोने के कण इकट्ठा करने की मेहनत करते हैं। दिन भर मेहनत करने के बाद एक या दो व्यक्ति को एक दो सोने के कारण मिल ही जाते हैं। जिसकी कीमत बाजार में 200 से 400 रुपए के बीच मिलकी है। 1 मजदूर महीने भर में वह 5 से 7 हजार रुपए की कमाई कर लेता है।
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