24 अक्टूबर को नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर ऐसे करें देवी महागौरी की पूजा
- FB
- TW
- Linkdin
इस विधि से करें देवी महागौरी की पूजा
सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर माता महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे
या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत
मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें। इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा माता महागौरी सहित
समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर,
दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद
वितरण कर पूजन संपन्न करें।
ध्यान मंत्र
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
अर्थात्- जो श्वेत वृषभ (बैल) पर बैठती हैं, श्वेत (सफेद) वस्त्र धारण करती हैं, सदा पवित्र रहती हैं तथा महादेवजी को आनंद प्रदान करती हैं, वे महागौरी दुर्गा मंगल प्रदान करें।
नवरात्र के आठवे दिन देवी महागौरी की ही पूजा क्यों की जाती है?
देवी महागौरी की पूजा से मन को शांति मिलती है। भक्ति के मार्ग पर चलते हुए जब मन में शांति की भाव आ जाए तो समझ लीजिए आपकी पूजा सार्थक हुई, क्योंकि यही वो भाव है जो आपका ईश्वर से साक्षात्कार करवा सकता है। जब मन से सभी बुरी इच्छाएं और भाव खत्म हो जाते हैं, तब ही शांति का भाव आता है। यही कारण है कि नवरात्र के आठवे दिन देवी महागौरी की पूजा की जाती है।
24 अक्टूबर के शुभ मुहूर्त
सुबह 7.30 से 9 बजे तक- शुभ
दोपहर 12 से 1.30 बजे तक- चर
दोपहर 1.30 से 3 बजे तक- लाभ
दोपहर 3 से 4.30 बजे तक- अमृत