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- 10 दिन में 780 किमी की पैदल यात्रा, 7 दिनों तक पानी पीकर गुजारा;ऐसा है इस मजदूर का दर्दनाक सफर
10 दिन में 780 किमी की पैदल यात्रा, 7 दिनों तक पानी पीकर गुजारा;ऐसा है इस मजदूर का दर्दनाक सफर
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आजमगढ़ जिले के रानी की सराय थाना क्षेत्र के गाहूखोर गांव के निवासी रामकेश गोंड रोजी-रोटी के लिए कुछ साल पहले पानीपत चले गए थे। वे हरियाणा के पानीपत में एक मोटर पार्ट्स कंपनी में काम करते थे। लॉकडाउन के कारण काम बंद हुआ तो धीरे-धीरे पैसे खत्म हो गए। कोई रास्ता ने देखकर वह पैदल ही घर के लिए निकल पड़े।
रामकेश ने अपने इस दर्दनाक सफर की दास्तान मीडिया से बताया। रामकेश ने बताया कि लॉकडाउन होने के बाद वह इस उम्मीद में पानीपत में ही रुके रह गए कि काम जल्द शुरू हो जाएगा। बार-बार लॉकडाउन बढ़ने से आर्थिक स्थिति खराब हो गई। पास में जितने पैसे थे, वे सब खर्च हो गए। कंपनी के मालिक ने श्रमिकों से मिलना बंद कर दिया। भूखों रहने की नौबत आ गई। इसके बाद थक-हार कर साथी श्रमिक घर जाने लगे।
रामकेश के मुताबिक मजदूर इस उम्मीद में पानीपत में ही रुके रह गए कि काम जल्द शुरू हो जाएगा। बार-बार लॉकडाउन बढ़ने से आर्थिक स्थिति खराब हो गई। श्रमिक के पास जितने पैसे थे, वे सब खर्च हो गए। कंपनी के मालिक ने श्रमिकों से मिलना बंद कर दिया। भूखों रहने की नौबत आ गई. रामकेश के साथी श्रमिक घर जाने लगे।
कंपनी के श्रमिकों ने एक बार और पैसे के लिए मालिक से संपर्क किया, मालिक ने दो-तीन दिन में आने का दिलासा दिया। मालिक के इंजतार में कई दिन बीत गए, लेकिन मालिक नहीं आया। मजबूरी में कंपनी के श्रमिक पैदल ही घर के लिए निकल पड़े।
यात्रा इतनी मुश्किल थी कि 7 दिनों तक भूखे पेट यात्रा करनी पड़ी। पूरे दिन पैदल चलने से शरीर थककर चूर हो जाती थी। कुछ ग्रामीण और कुछ संस्थाओं के लोग रास्ते में कुछ खाने को दे देते थे। रास्ते में रुकने की हिम्मत भी नहीं होती थी। मन में ये दहशत हमेशा रहती थी कि क्या पता घर पहुंच पाऊँ या नहीं।
रामकेश ने बताया कि 2- 4 किमी की दूरी तय करने के लिए रास्ते में कुछ स्थानों पर मालवाहक गाड़ियों का सहारा भी मिला। किसी तरह से चलते हुए वे सुल्तानपुर जनपद पहुंच गए। यहां रामकेश के लिए एक अच्छी बात यह हुई कि पुलिस ने उसे रोक लिया, लेकिन इसके बाद उसे रोडवेज बस में बैठाकर आजमगढ़ भेज दिया।
रामकेश अब अपने गांव पहुंच गए हैं। और अपने गांव के स्कूल में क्वारंटीन हैं। उनका कहना है कि घर पहुंच जाने से सुकून मिला है। अपनों को देखकर दिल को चैन मिल रहा है। अब आगे वह कहीं बाहर नौकरी के लिए जाने से पहले 100 बार सोचेंगे।