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कौन हैं आनंद गिरी जिनपर लग रहा संगीन आरोप, लग्जरी लाइफ के शौकीन-बुलेट और प्लेन से करते हैं सफर
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दरअसल, आनंद गिरि मूल रुप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं, और वह नरेंद्र गिरि के शिष्यो में से एक हैं। प्रयागराज में उन्हें 'छोटे महाराज' के नाम से जाना जाता है। वह अपना पूरा नाम योग गुरु स्वामी आनंद गिरि लिखते हैं। लेकिन उन्हें संतों की तरह नहीं बल्कि लग्जरी लाइफ पसंद है और वह ऐसी शौकीन जिंदगी जीते भी हैं।
आनंद गिरि को महंगी गाड़ियों में घूमना, बुलेट की सवारी करना और प्लेन में विदेश जाना बेहद पसंद है। उन्हें कई बार गंगा किनारे बुलेट चलाते देखा गया है। वह अपने पास एपल के एक नहीं दो-दो मोबाइल रखते हैं। हालांकि वह कपड़े तो संतों वाले पहनते हैं, लेकिन वह बेहद महंगे होते हैं। जिनकी कीमत जान हर कोई हैरान रह जाता है। इतना ही नहीं गले में सोने की चेन और हाथ में गोल्डन कड़ा पहनते हैं।
आनंद गिरी पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और मारपीट के आरोप भी लग चुके हैं। वह जब ऑस्ट्रेलिया गए हुए थे तो सिडनी में महिलाओं के आरोप के बाद उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था। जिसके चलते उनके साथ-साथ संत समाज की भी खूब फजीहत हुई थी। पुलिस ने उन्हें इसके लिए जेल भी भेज दिया था। यह मामला साल 2018 का है, इन आरोपों के बाद उनको अदालत में पेश किया गया था। जहां से हालांकि उन्हें बरी कर दिया था।
इतना ही नहीं एक साल पहले आनंद गिरि की एक फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थी। जहां वह एक प्लेन में बिजनेस क्लास सीट में बैठे नजर आ रहे हैं। साथही उनके पास में एक ग्लास भी रखा हुआ था। जिसमें शराब रखी हुई थी। इस फोटो वायरल होने के बाद उनकी काफी आलोचना भी हुई थी। हालांकि बाद में आनंद गिरी ने सफाई देते हुए कहा था कि ग्लास में शराब नहीं, बल्कि एपल का जूस है। यह कोई मेरे खिलाफ बदनाम करने की साजिश कर रहा है। लेकिन उनके अनुआइयों में इसको लेकर जबरदस्त गुस्सा था। जिसके चलते मंहत नरेंद्र गिरी भी उन्हें पसंद नहीं करते थे।
आनंद गिरी निरंजनी अखाड़ा का सदस्य थे। वह एक समय में महंत नरेंद्र गिरी के सबसे खास और प्रिय शिष्य हुआ करते थे। लेकिन लेकिन उन पर संत परंपरा का ठीक से पालन नहीं करने का आरोप भी लग चुका था। इसके लिए उन्हें अखाड़े से निष्कासित कर दिया था।
कुछ साल पहले स्वामी आनंद गिरि ने खुद को महंत नरेंद्र गिरि का उत्तराधिकारी घोषित किया था। जिसका बाद में महंत नरेंद्र गिरि ने इसका खंडन करते हुए कहा था कि सभी शिष्य एक समान हैं, अभी कोई मेरा उत्तराधिकारी नहीं है। बताया जाता है कि इस विवाद की जड़ बाघंबरी पीठ की गद्दी थी। जिसे आनंद गिरी हासिल करना चाहते थे।
नरेंद्र गिरी की इस तरह से मौत के बाद आनंद गिरी ने साफ आरोप लगाया है कि ये आत्महत्या नहीं हत्या है। मैं बाल्यकाल से उनका शिष्य रहा हूं। हम लोगों को अलग करने की लगातार कोशिश होती रही है। मेरे साथ उनका कोई विवाद नहीं था।
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