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बलबीर गिरि बाघंबरी मठ के महंत बने, 13 अखाड़ों के महामंडलेश्वर ने चादर रस्म से संपन्न कराया राज तिलक
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश). अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (akhada parishad) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी (Mahant Narendra Giri) के निधन के 15 दिन बाद उनका उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया गया। देशभर से आए अखाड़ों के संतों और मठ के पंच परमेश्वर ने बलवीर गिरी बाघंबरी गद्दी मठ के नए महंत बन गए। इस दौरान महामंडलेश्वरों ने उन्हें चादर ओढ़ाई और तिलक कर आशीर्वाद दिया। देखिए राज तिलक की तस्वीरें...
| Published : Oct 05 2021, 03:35 PM IST / Updated: Oct 05 2021, 04:32 PM IST
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दरअसल, कुछ दिन पहले पंच परमेश्वर ने बलवीर गिरी के नाम पर मुहर लगाई थी। इसी के तहत आज 5 अक्टूबर को नरेंद्र गिरी के षोडशी संस्कार के बाद महंत बलवीर गिरि की चादरपोशी हुई। इस दौरान नरेंद्र गिरि को अंतिम विदाई दी गई और बलवीर गिरि ने औपचारिक रूप से मठ के महंत की गद्दी पर बैठाया गया।
बलवीर गिरि की चादरपोशी के दौरान मठ को भव्य तरीके से सजाया गया। सुबह सबसे पहले महंत बलवीर ने 16 संन्यासियों को दान-दक्षिणा और भोजन करवाकर की। फिर दोपहर में 13 अखाड़ों के महामंडलेश्वर ने बलवीर गिरि की चादरपोशी की। बलवीर पुरी ने चादर विधि के बाद सबसे अपने गुरु नरेंद्र गिरि का आशीर्वाद लिया।
बाघंबरी गद्दी मठ के नए महंत बनने के बाद बलवीर गिरी ने मीडिया से भी बात की। उन्होंने कहा कि में अपने गरु नरेंद्र गिरि के पदचिन्हों पर चऊंगा और उनके बताए आचरण ही मठ को आगे बढ़ाऊंगा। साथ ही गुरू की मौत के मामले सच लाने की कोशिश करूंगा। मठ को आगे ले जाना मेरी पहली प्राथमिकता होगी।
बलवीर गिरी महंत नरेंद्र गिरी के सबसे प्रिय और 15 साल पुराने शिष्य हैं। वह मूल रुप से उत्तराखंड के रहे वाले हैं, उन्होंने साल 2005 में अपना घर परिवार छोड़ दिया था और फिर संत बन गए थे। नरेंद्र गिरी ने उन्हें दीक्षा दी थी और बलवीर गिरि को हरिद्वार आश्रम का प्रभारी बनाया था।
बलवीर गिरी महंत नरेंद्र गिरी के सबसे प्रिय और 15 साल पुराने शिष्य हैं। वह मूल रुप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं। उन्होंने साल 2005 में अपना घर परिवार छोड़ दिया था और फिर संत बन गए। नरेंद्र गिरी ने उन्हें दीक्षा दी थी और बलवीर गिरि को हरिद्वार आश्रम का प्रभारी बनाया था।
सामने आई नरेंद्र गिरि की 7 पेज की वसीयत, जिसमें बदला था अपना उत्तराधिकारी..पढ़िए इसमें क्या लिखा...