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कोटा में फंसे छात्रों के हनुमान बने CM योगी, सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ; पर निंदा में भी कमी नहीं
कोटा/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना वायरस (कोविड 19) के खिलाफ जंग में अपने एक्शन की वजह से लगातार चर्चा में हैं। अब सीएम योगी ने राजस्थान के कोटा में फंसे मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले छात्रों को निकालने के लिए रोडवेज की बसों के जरिए ऑपरेशन चलाया। इसके तहत 300 बसों को (200 आगरा से और 100 बसें झांसी से) कोटा भेजा गया।
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योगी सरकार कोरोना को लेकर जरूरी गाइडलाइन फॉलो करते हुए छात्रों को वहां से निकाल रही है। कोटा से निकाले गए सभी छात्र शनिवार सुबह यूपी पहुंच जाएंगे। पिछले दिनों दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर मजदूरों को निकालने के लिए भी यूपी की सरकार ने कई बसें चलाई थीं।
रोडवेज की बसों के जरिए रातोंरात मजदूरों को निकालने के बाद कोटा में योगी के बोल्ड कदम की सोशल मीडिया पर जबरदस्त चर्चा है। ट्विटर पर तो योगी को यूपी के छात्रों का हनुमान तक बताया जा रहा है। हालांकि कई लोग सोशल मीडिया में योगी के इस कदम की आलोचना के साथ कुछ लोग सवाल भी उठा रहे हैं।
यूपी के कई मजदूर देश के अलग-अलग इलाकों में फंसे हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर कई वीडियोज़ भी वायरल हुए थे। मजदूरों ने योगी सरकार से उन्हें घर पहुंचाने की मांग की थी। अब लोग कह रहे हैं कि योगी सरकार मजदूरों के मामले में ऐसा नहीं कर रही।
ट्विटर पर एक यूजर ने भेदभाव का आरोप लगाते हुए लिखा, "कोटा में ज़्यादातर प्राइवेट कोचिंग करने वाले छात्र मध्य और उच्च मध्यवर्ग परिवारों से हैं। इसी वजह से उन्हें वापस लाया गया। प्रवासी मजदूर... उन्हें यूपी में घुसने की अनुमति नहीं है। उन्हें भूखा रहने दो। किसे फिक्र है?"
लॉकडाउन में छात्रों को रेसक्यू करने को लेकर एक रीट्वीट में योगेन्द्र यादव ने सवाल उठाया, "हां, क्यों नहीं। यदि पर्यटकों के लिए उत्तराखंड से गुजरात तक बसें चल सकती हैं, श्रद्धालुओं के लिए बनारस से आंध्र प्रदेश, छात्रों के लिए कोटा से यूपी फिर प्रवासी मजदूरों के लिए क्यों नहीं?"
उधर यूपी के छात्रों आ रेसक्यू करने के बाद कोटा में पढ़ रहे दूसरे राज्यों के छात्रों ने भी अपनी सरकारों से उन्हें रेसक्यू करने की मांग की।
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को टैग करते हुए एक यूजर ने लिखा, "मैं कोटा में पढ़ रहा हूं। जैसे यूपी सरकार ने कोटा में पढ़ रहे अपने छात्रों को निकालकर अपने राज्य वापस ले आई। अनुरोध है कि झारखंड सरकार भी कोटा से अपने छात्रों को निकाले। कृपया हमारा भी विचार करें। धन्यवाद।"
एक यूजर ने लिखा, "कोटा बिहारियों का हब है। टीचर हों या छात्र मेडिकल इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले एक सामान्य बिहारी का सपना होता है कि वो कोटा में परीक्षा की तैयारी करे। यदि योगी ऐसा कर सकते हैं तो नीतीश क्यों नहीं।"
सोशल मीडिया पर ऐसे मीम्स भी वायरल हो रहे हैं।