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भ्रष्टाचारियों ने किया क्रूर मजाक, पति बच्चे के साथ ऐसे जिंदगी काट रही हैं बेरोजगार अनामिका शुक्ला
लखनऊ(Uttar Pradesh). उत्तर प्रदेश में पिछले कई दिनों से सनसनी बने हाई प्रोफाइल अनामिका शुक्ला मामले का पटाक्षेप हो गया है। गोंडा निवासी असली अनामिका शुक्ला सामने आ चुकी हैं। अनामिका शुक्ला के नाम से कस्तूरबा विद्यालयों से भले ही लाखों रूपए निकाल लिए गए हों लेकिन असली अनामिका शुक्ला अभी भी बेरोजगार हैं। वह अपने पति व बच्चे के साथ कैसे जिन्दगी जी रही हैं इसके बारे में उन्होंने खुद मीडिया के सामने आकर बताया। हांलाकि मामले की शासन स्तर से जांच चल रही है और इसमें जांच में तेजी लाकर कार्रवाई के निर्देश भी दी गए हैं। यही नही एक जांच में सामने आया है कि सूबे में तकरीबन 5000 शिक्षक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे हैं। अनामिका शुक्ला का मामला सामने आने के बाद अब असली विभाग ऐसे लोगों की कुंडली खंगालने में लगा हुआ है।
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गोंडा के कमरावा में भुलईडीह गांव की रहने वाली अनामिका शुक्ला इन दिनों मीडिया की सुर्ख़ियों में हैं। वजह भी है क्योंकि उनके नाम और दस्तावेजों से कई जिलों में दूसरी शिक्षिकाएं कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में नौकरी कर रही हैं और वेतन ले रही हैं। हांलाकि मामला सामने आने के बाद उन पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है।
एक इंटरव्यू में अनामिका ने कहा कि 2017 में उन्होंने कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय में साइंस टीचर के लिए आवेदन किया था। वहीं से उनके दस्तावेज के साथ छेड़छाड़ की और ये पूरा फर्जीवाड़ा किया। उन्होंने कहा कि कई दिन से नाम सुन रहे थे लेकिन उन्हें नहीं पता था कि ये उन्हीं की बारे में है। जब उन्होंने न्यूजपेपर में देखा तो मेरी तस्वीर दिखी, जहां से मैने बीएड किया था। इसके बाद मुझे लगा कि हां, शायद ये मेरे बारे में ही कहा जा रहा है। अनामिका ने बताया कि इस बारे में उन्होंने अपने पति और ससुर से बात की और कहा कि तुरंत इस संबंध में विभाग से संपर्क करना चाहिए। इसके बाद उन्होंने बीएसए कार्यालय जाकर संपर्क किया।
अनामिका ने बताया कि जुलाई 2017 में उन्होंने नौकरी के लिए आवेदन किया था। उन्होंने कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय में साइंस टीचर के लिए सुल्तानपुर, जौनपुर, बस्ती, मिर्जापुर और लखनऊ में आवेदन किया था। लेकिन वह गर्भवती थीं और काउंसिलिंग से पहले उनकी बड़ी बेटी ऑपरेशन से हुई, जिस वजह से वह काउंसिलिंग में जा नहीं सकीं।
ये बताते हुए अनामिका की आँखों में आंसू आ गए । अनामिका ने कहा कि ये गलत हो रहा है मेरे साथ। उन्होंने कहा कि इसमें शिक्षा विभाग के लोग ही शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हर इंसान अपने मां-पिता का नाम रोशन करने के लिए पढ़ता है। सरकार से निवेदन है कि वो मेरे दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर इतना बड़ा फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों को चिन्हित करे उनके खिलाफ कारवाई करे ।
असली अनामिका का चयन किसी भी कस्तूरबा स्कूल में तय था क्योंकि वह खुद कस्तूरबा से ही पढ़ी थी और उनकी मेरिट बहुत अच्छी थी । अनामिका को हाईस्कूल में 77 परसेंट नंबर मिले थे. गोंडा के कस्तूरबा स्कूल से पढ़ते हुए 2007 में हाईस्कूल में उन्हें 600 में से 461 नंबर मिले। 5 सब्जेक्ट में उन्हें डिस्टिंक्शन मिला था। 2009 में इंटर में 79 परसेंट मार्क्स मिले थे। कुल 500 में से 393. फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी में उन्हें डिकटेंशन मिला।
बीएससी में जरूर उन्हें 60 फीसदी से कम अंक मिले थे लेकिन बीएड में फिर उन्हें 60 फीसदी से ज्यादा नंबर मिले हैं। टीईटी में उन्हें 150 में से 91 नंबर मिले। इतनी मेरिट पर कस्तूरबा के लिए उनके चयन की गारंटी थी। इसी लिए जालसाजों ने उनके दस्तावेजों के साथ फ्राड करने के लिए चिन्हित किया ।
उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती में घोटाले के आए दिन नए मामले सामने आ रहे हैं। फर्जी दस्तावेज पर नौकरी करने वाले शिक्षकों पर अब सरकार शिकंजा कस रही है। उत्तर प्रदेश में 6 फर्जी शिक्षकों से पैसे की रिकवरी के लिए नोटिस भेजा गया है। पहले ही इन शिक्षकों पर मुकदमा दर्ज है. शिक्षकों की नियुक्ति पर जांच बैठाई जा चुकी है। अब सरकार ने इनसे नौकरी के दौरान दी गई सैलरी को रिकवर करने का फैसला किया है। पुलिस भी पूरे मामले की पड़ताल कर रही है।
फर्जी शिक्षकों में ज्यादातर ऐसे लोग हैं, जिन्होंने किसी दूसरे का कागजात का इस्तेमाल कर नौकरी हासिल की है। कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी डिग्री किसी फर्जी यूनिवर्सिटी से बनवाई है। इसी आधार पर ये शिक्षक वर्षों से नौकरी कर रहे थे। अभी तक सामने आई जांच के मुताबिक पूरे यूपी में फर्जी शिक्षकों की संख्या करीब 5,000 के आसपास है। जैसे-जैसे विभागीय जांच शुरू की जाएगी, ये आंकड़े और ज्यादा बढ़ सकते हैं। सरकार ने सभी शिक्षकों को 20 जून तक का वक्त दिया है।
गौरतलब है कि हाल ही में यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉक्टर सतीश द्विवेदी ने दावा किया था कि जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार आई है, हमने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे 1700 से अधिक लोगों की सेवा समाप्त कर दी है। उन्होंने कहा कि सिस्टम में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अब डिजिटल डेटाबेस तैयार किया जा रहा है।