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भूकंप से भी नहीं होगा राम मंदिर को कोई नुकसान, ट्रस्ट ने कहा- 36 से 40 महीने में तैयार हो जाएगा भव्य मंदिर
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ट्रस्ट का कहना है कि मंदिर निर्माण में देश की प्राचीन और परंपरागत तकनीकें काम में ली जाएगी। ताकि भूकंप, तूफान और दूसरी आपदाओं से कोई नुकसान नहीं हो। कंस्ट्रक्शन में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाएगा।
इसके लिए 18 इंच लंबी, 3 मिलीमीटर गहरी और 30 मिलीमीटर चौड़ाई की 10 हजार पत्तियों की जरूरत पड़ेगी। ट्रस्ट के मुताबिक भक्तों से तांबे की पत्तियां दान करने की अपील की गई है।
दान देने वाले इन पत्तियों अपने परिवार, इलाके या मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं। इस तरह तांबे की पत्तियां न सिर्फ देश की एकता का उदाहरण बनेंगी, बल्कि मन्दिर निर्माण में पूरे देश के योगदान का सबूत भी देंगी।
भूकंप-तूफान से बचाने के लिए परंपरागत तकनीकों से निर्माण होगा। पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की 10 हजार पत्तियां काम में ली जाएंगी।
तांबे की पत्तियां देने वाले उन पर अपने परिवार, इलाके या मंदिरों के नाम गुदवा सकेंगे। मंदिर निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। 36 से 40 महीने में निर्माण का काम पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है।