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ममता का चमत्कार; 15 दिनों तक कोरोना मरीजों के बीच संक्रमित बेटी को दूध पिलाने वाली मां को छू नहीं पाई बीमारी
गोरखपुर(Uttar Pradesh). कहते हैं दुनिया में मां की ममता से ज्यादा ताकतवर दूसरी कोई चीज नहीं होती। लोगों का मानना है कि अगर किसी के सिर पर मां के आंचल की छाँव है तो उसे कोई भी परेशानी छू भी नहीं सकती है। यूपी के गोरखपुर में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसने मेडिकल साइंस को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। गोरखपुर के BRD मेडिकल कालेज में भर्ती एक 10 माह की मासूम को कोरोना हुआ था। उसे 28 मरीजों वाले एक आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया था। बच्ची के साथ उसकी मां भी 15 दिन तक रही और इस दौरान उसे दूध भी पिलाया। लेकिन उसे कोरोना छू भी नहीं पाया। वह अपनी बच्ची को भी 15 दिन बाद ठीक कराकर ले गई। अब इस पर रिसर्च शुरू हो गया है।

गोरखपुर के बड़हलगंज इलाके की रहने वाली महिला ने 10 माह पूर्व बेटी को जन्म दिया था। पिछले माह बेटी की ताबियत खराब हुई तो जांच में पता चला कि वह कोरोना पाजिटिव है ।
बच्ची को BRD मेडिकल कालेज के कोरोना वार्ड में भर्ती किया गया। लेकिन बच्ची इतनी छोटीथी कि उसे आइसोलेशन में अकेले रखना संभव नहीं था। डॉक्टरों के लिए भी ये अग्नि परीक्षा जैसी ही थी।
उसे 15 दिन तक आइसोलेशन वार्ड में रखा गया। उस वार्ड में 28 और कोरोना संक्रमित भर्ती थे। डॉक्टरों ने बच्ची के साथ उसकी मां को भी रखने का निर्णय लिया। बच्ची की मां थ्री लेयर मास्क और PPE किट पहनकर अपनी बेटी के साथ रही।
इस दौरान वह उसे रोने पर चुप भी कराती थी और दूध भी पिलाती थी। लेकिन उसने डॉक्टरों द्वारा बताए गए नियमों का जरा भी उल्लंघन नहीं किया। 15 दिन बाद बच्ची की मेडिकल रिपोर्ट निगेटिव आई। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर मां का कोरोना टेस्ट करते रहे। लेकिन वह हर बार निगेटिव ही आई।
15 दिन बाद जब वह वार्ड से अपनी बच्ची के ठीक होने के बाद जाने लगी तो लोगों व मेडिकल स्टाफ ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया। वहीं अब BRD की टीम इस पर रिसर्च कर रही है कि 15 दिन 28 कोरोना मरीजों के बीच रहने व कोरोना संक्रमित अपनी बच्ची को दूध पिलाने के बाद भी इस मां ने कोरोना को मात कैसे दे दिया।
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