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पहले जीता बैंक कर्मियों का भरोसा, फिर 15 मिनट में लुटवा दिया बैंक से 56.94 लाख, 1 गलती से ऐसे खुला राज
आगरा ( Uttar Pradesh) । इंडियन ओवरसीज बैंक रोहता में 12 दिसंबर की शाम पांच बजे हुए 56.94 लाख लूट मामले का आज खुलासा हो गया। पुलिस के मुताबिक इस वारदात को बैंक में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पुनीत ने अपने बचपन के साथी सहित अन्य बदमाशों के साथ मिलकर अंजाम दिया था, जिसपर पुलिस को पहले ही शक था। लेकिन, उसपर बैंक के मैनेजर व अन्य स्टाफ आंख बंदकर विश्वास करते थे। फिलहाल पांच बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनकी निशानदेही पर 40 लाख रुपए भी बरामद कर लिया है। बता दें कि एसएसपी बबलू कुमार ने बदमाशों के बारे में सही सूचना देने वाले को एक लाख रुपए इनाम की भी घोषणा की थी।
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पुलिस के मुताबिक वारदात के बाद खेरिया मोड़ से जगनेर रोड पर लगे सीसीटीवी कैमरे में बाइक सवार दो बदमाश नजर आए थे। जिसमें एक का चेहरा कुछ साफ नजर आ रहा था। जांच के दौरान पुलिस ने उसकी पहचान खंदारी निवासी सनी जाटव के रूप में हुई। उसका मोबाइल नंबर मिल गया। इस पर उसकी कॉल डिटेल चेक की। इसमें खंदारी निवासी ठाकुरदास का नंबर मिला।
जांच में पता चला कि ठाकुरदास बैंक कर्मचारी पुनीत का दोस्त है। इसके बाद पुनीत के मोबाइल को कब्जे में लिया तो उसका मोबाइल नंबर मिला। इसपर पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। जांच में पता चला कि दोनों में बातचीत होती है।
पुलिस को घटना के बाद से ही पुनीत पर शक था। वह रो-रोकर बता रहा था कि बदमाशों ने उसे बहुत पीटा। जबकि शरीर पर पिटाई के निशान नहीं थे। उससे लगातार पूछताछ चल रही थी। लेकिन वह राज नहीं उगल रहा था। जब पुलिस के हाथ सुराग लगा तो उसने सारा सच उगल दिया।
पुलिस ने आज पुनीत कुमार उर्फ पीके, रंजीत पुत्र हजारीलाल, ठाकुरदास पुत्र बनवारी लाल, नीरज पत्नी मनोहर, रंजनी पत्नी ठाकुरदास निवासी खंदारी को गिरफ्तार किया है। सनी उर्फ सिद्धार्थ पुत्र ठाकुर सिंह निवासी नरीपुरा थाना शाहगंज, बंटी जाटव पुत्र महेश निवासी खंदारी, नरेंद्र कुमार पुत्र बनवारी लाल निवासी खंदारी, तेज सिंह निवासी ग्राम नगला प्रताप फरार हैं।
ठाकुरदार बीसी संचालक है। उसके यहां 60 लोग बीसी डालते थे। इसमें उस पर करीब 20 लाख रुपए का कर्जा हो गया था। जिसने अपने बचपन के दोस्त पुनीत से अपनी समस्या बताई। पुनीत ने बैंक से कैश लूटने की सलाह दी।
पुलिस के मुताबिक ठाकुरदार और पुनीत दोनों ने लॉकडाउन के समय से ही योजना बनाना शुरू किया था। दीपावली पर ठाकुरदास ने अपने दोस्त बंटी जाटव को यह बताया। बंटी पहले छिनैती में जेल जा चुका था।
पुलिस के मुताबिक बंटी पर कोई काम नहीं था। उसने सनी और रंजीत को भी योजना में शामिल कर लिया। दोनों जूता फैक्ट्री में काम करते थे। लेकिन, लॉकडाउन के बाद उन्हें काम नहीं मिल रहा था।
पुलिस के मुताबिक पूछताछ में पता चला कि ठाकुरदास, रंजीत, बंटी जाटव और सनी ने रेकी की थी। इसके बाद सभी बैंक लूटने पहुंचे। मगर, उस समय वहां बीएसएनएल के कर्मचारी काम कर रहे थे। बैंक के गेट पर उनके पहुंचते ही पुनीत ने उन्हें इशारा करके भगा दिया। इसके बाद मंगलवार को सभी वहां पहुंचे।
पुलिस के अनुसार पुनीत पहले ही बैंक का गेट खोलकर चला गया था। अंदर घुसकर उन्होंने कैश लूट लिया। इसके बाद रोहता से होकर शमसाबाद रोड पर पहुंचे। वहां से वे अलग-अलग चले गए। ठाकुरदास ने दस लाख रुपये अन्य साथियों को बांट दिए। बचे हुई पूरी रकम खुद रख ली थी। इसमें से बाद में बंटवारा होता। लेकिन, इसके पहले ही पुलिस ने भंडाफोड़ कर दिया।