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उज्जैन से जिस गाड़ी में विकास दुबे चला और जिसका एक्सीडेंट हुआ...दोनों अलग थीं, सामने आई गाड़ी बदलने की वजह
कानपुर(Uttar Pradesh). कानपुर के बिकरू गांव में बीते 2-3 जुलाई की रात हुई 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। UPSTF की एफआईआर में बताया गया है कि उज्जैन में विकास को एमपी पुलिस से हैंडओवर लेने के बाद से कानपुर के भौंती में गाड़ी पलटने और विकास दुबे का एनकाउंटर कैसे और किन परिस्थितियों में हुआ। एसटीएफ के मुताबिक़ ये बताया गया है कि सुरक्षा कारणों से बार-बार विकास दुबे की गाड़ी बदली जा रही थी। जिस महिन्द्रा TUV कार में विकास दुबे उस समय बैठा था वह गाड़ी पलटना मात्र एक संयोग ही है।
| Published : Jul 15 2020, 11:09 AM IST / Updated: Jul 15 2020, 12:20 PM IST
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UPSTF के सीओ तेज बहादुर सिंह की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है कि बारा टोल प्लाजा क्रॉस करते ही भारी बारिश शुरू हो गई। जिस कार में विकास दुबे बैठा था, उसमें इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी, सिपाही प्रदीप कुमार, दरोगा अनूप सिंह, पंकज सिंह व एक अन्य सिपाही भी था।
एफआईआर के मुताबिक हाईवे पर गाड़ियों के सामने अचानक से मवेशियों का झुंड आ गया। दाएं तरफ से आए मवेशियों की वजह से ड्राइवर ने गाड़ी बाएं काटी और डिवाइडर से टकराकर पलट गई। सभी पुलिस वाले अचेत अवस्था में हो गए। इस दौरान विकास दुबे ने इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी की पिस्टल छीनी और कार के पीछे वाले दरवाजे से भाग निकला।
कच्ची सड़क से खेत की तरफ विकास भाग रहा था कि पीछे से वो खुद (सीओ एसटीएफ) टीम के साथ पहुंचे। पीछा करने पर विकास ने उन पर गोलियां दागीं। एक गोली सीओ के बुलेट प्रूफ जैकेट पर लगी। इसके बाद दो गोली एसटीएफ सिपाही शिवेंद्र सिंह सेंगर और विमल कुमार को लगी। जवाबी कार्रवाई में विकास मारा गया।
एफआईआर के अनुसार दरोगा विनोद सिंह ने सरकारी पिस्टल से एक, सिपाही विमल कुमार ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल से दो और एसटीएफ के कमांडो सर्वेश ने एके-47 से तीन गोलियां चलाईं। घटनास्थल से दो खोखे बरामद हुए। दावा है कि बारिश और मिट्टी गीली होने की वजह से खोखे कहीं लापता हो गए।
बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में पुलिस अब तक मुख्य आरोपी विकास दुबे समेत 6 लोगों को एनकाउंटर में ढेर कर चुकी है जबकि 9 लोग गिरफ्तार किये जा चुके हैं।
पुलिस ने मामले में 21 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की थी।