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ये शख्स बारुद कंपनी में करता था नौकरी, जिसके शिष्य CM तो कई बने मंत्री...पढ़िए दलितों के मसीहा की कहानी
लखनऊ (Uttar Pradesh) । बहुजन समाज पार्टी और बामसेफ के संस्थापक कांशीराम की जयंती है। जो, राजनीति में आने से पहले पुणे की गोला बारु फैक्ट्री में क्लास वन अधिकारी थे। लेकिन,नौकरी के दौरान उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि वो राजनीति में आ गए, जिसके बाद उनके बताए रास्ते पर चलकर कोई मुख्यमंत्री बना तो कोई मंत्री। आज हम आपको उनके जीवन से जुड़ी वो अनसुनी बातें बता रहे हैं, जिसे कम ही लोग जानते हैं।
| Published : Mar 15 2021, 04:38 PM IST / Updated: Mar 15 2021, 04:44 PM IST
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पंजाब के रहने वाले थे कांशीराम
कांशी राम पंजाब के रोपड़ जिले (रूपनगर) के रहने वाले थे। वो पुणे की गोला बारूद फैक्ट्री में क्लास वन अधिकारी के रूप में तैनात थे। यहीं पर जयपुर, राजस्थान के रहने वाले दीनाभाना चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में काम कर रहे थे। वो वहां की एससी, एसटी वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़े हुए थे।
(बीच में खड़े कांशीराम)
इस घटना के बाद कांशीराम ने लिया था संकल्प
डॉक्टर भीम राव आंबेडकर जयंती पर छुट्टी को लेकर दीनाभाना का अपने सीनियर से विवाद हो गया। बदले में उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। उनका साथ देने आए महाराष्ट्र के डीके खापर्डे का भी यही हश्न हुआ। जब कांशीराम को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने कहा, ‘बाबा साहब आंबेडकर की जयंती पर छुट्टी न देने वाले की जब तक छुट्टी न कर दूं, तब तक चैन से नहीं बैठ सकता।
अधिकारी की पिटाई करने पर हुए थे सस्पेंड
कांशीराम वंचितों की लड़ाई में उतर गए। उन्हें भी सस्पेंड कर दिया गया था। फिर उन्होंने उस अधिकारी की पिटाई की, जिसने उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। इसी घटना के बाद कांशीराम ने नौकरी छोड़ दी और बामसेफ फिर बाद में बसपा की स्थापना की। इसके तीन संस्थापक थे दीनाभाना, डीके खापर्डे और कांशीराम।
बसपा के लिए आरएसएस की तरह काम करता था वामसेफ
बता दें कि कांशीराम के दौर तक वामसेफ, बसपा के लिए वैसा ही काम किया जैसा भाजपा के लिए आरएसएस करता है। कांशी राम उस एससी, एसटी वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष बना दिए गए, जिससे दीनाभाना जुड़े हुए थे। बाद में बामसेफ के बैनर तले कांशीराम और उनके साथियों ने दलितों पर अत्याचारों का विरोध किया। कांशीराम ने दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में दलित कर्मचारियों का मजबूत संगठन बनाया।
बसपा के लिए आरएसएस की तरह काम करता था वामसेफ
बता दें कि कांशीराम के दौर तक वामसेफ, बसपा के लिए वैसा ही काम किया जैसा भाजपा के लिए आरएसएस करता है। कांशी राम उस एससी, एसटी वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष बना दिए गए, जिससे दीनाभाना जुड़े हुए थे। बाद में बामसेफ के बैनर तले कांशीराम और उनके साथियों ने दलितों पर अत्याचारों का विरोध किया। कांशीराम ने दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में दलित कर्मचारियों का मजबूत संगठन बनाया।
कांशी राम की मौत के पहले कोर्ट पहुंचा था मामला
कांशी राम अंतिम दिनों में जब बीमार थे तो उनके परिवार ने उन्हें अपने सुपुदर्गी में लेने के लिए अदालत की शरण भी ली थी। उनकी मां और भाई गंभीर बीमारी की स्थिति में उन्हें साथ रखना चाहते थे। लेकिन अदालत ने उनकी अपील को ठुकराते हुए उन्हें मायावती की देखरेख में रहने की बात मंजूर की। हालांकि कांशी राम का साल 2006 में निधन हो गया था।