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Mukhtar Ansari के ड्राइवर बन गए बिल्डर,दादा थे कांग्रेस अध्यक्ष तो चाचा रह चुके उपराष्ट्रपति,पढ़िए पूरी कहानी
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एक्शन में है योगी सरकार, जब्त कर रही अवैध संपत्तियां
बताते चले कि योगी सरकार बाहुबली मुख्तार अंसारी के आर्थिक साम्राज्य को ध्वस्त करने में लगी हुई है। लखनऊ विकास प्राधिकरण और इलाहाबाद विकास प्राधिकरण के रडार पर अब मुख्तार के कई ऐसे सफेदपोश बिल्डर आने जा रहे है जो कभी मुख्तार के लिए गाड़ी चलाते थे, असलहा उठाते थे। लेकिन, आज ये सफेदपोश शहर के नामचीन बिल्डर, व्यवसाई और नेता हो गए हैं। यही हाल मऊ और गाजीपुर में भी है। जिनके द्वारा बनाई गई अवैध संपत्तियों सरकार जब्त करने में लगी हुई है।
बेटों पर भी होगी कार्रवाई
पिछले साल योगी आदित्यनाथ ऑफिस के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर बताया गया कि अवैध कब्जेदारों, फर्जी दस्तावेजों के आधार पर निष्क्रांत सम्पत्ति पर अवैध कब्जे एवं अवैध निर्माण कराने के षड्यंत्र में शामिल माफिया मुख्तार अंसारी, उनके पुत्रगण और इस षड्यंत्र में शामिल सभी व्यक्तियों के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।
66 करोड़ की जब्त हो चुकी है अवैध संपत्ति
योगी आदित्यनाथ ऑफिस के आधिकारिक टि्वटर हैंडल से ये जानकारी दी गई है। ट्वीट में बताया गया कि अब तक उसकी 66 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति जब्त हो चुकी है। ₹41 करोड़ की अवैध आय की प्राप्ति का मार्ग बंद किया जा चुका है। मुख्तार अंसारी गिरोह के 97 साथी पुलिस की हिरासत में हैं। यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।
मुख्तार के पिता थे कम्युनिस्ट नेता
पांच बार विधायक बने मुख्तार अंसारी गाजीपुर का रहने वाला है, जो इस समय पंजाब की जेल में बंद है और योगी सरकार यूपी लाने का प्रयास कर रही है। बता दें कि उसपर 40 से अधिक गंभीर मामले दर्ज हैं। लेकिन, पूर्वांचल के इस माफिया को राजनीति विरासत में मिली है। उनके दादा मुख्तार अहमद अंसारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे, जबकि उनके पिता एक कम्युनिस्ट नेता थे।
हामिद अंसारी लगते हैं रिश्ते में चाचा
बाहुबली मुख्तार अंसारी के दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। वे गांधी जी के बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी याद में दिल्ली की एक रोड का नाम उनके नाम पर है। इतना ही नहीं भारत के पिछले उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते हैं।
कॉलेज के ही दिनों से मुख्तार ने चुनी थी अलग राह
कॉलेज में ही पढ़ाई लिखाई में ठीक मुख्तार ने अपने लिए अलग राह चुनी। साल 1970 का वो दौर में आते-आते मुख्तार ने जमीन कब्जाने के लिए अपना गैंग शुरू कर लिया। उनके सामने सबसे बड़े दुश्मन की तरह बृजेश सिंह खड़े थे, जिसके बीच गैंगवार शुरू हुई थी।
1999 में लगा था पहली बार हत्या का आरोप
1988 में पहली बार हत्या के एक मामले में मुख्तार का नाम आया था। हालांकि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पुलिस नहीं जुटा पाई थी। लेकिन 1990 का दशक में मुख्तार अंसारी जमीनी कारोबार और ठेकों की वजह से अपराध की दुनिया में कदम रख चुका था। पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में उनके नाम का सिक्का चलने लगा था।
1995 में राजनीति में रखा था कदम
साल 1995 में मुख्तार अंसारी ने राजनीति की मुख्यधारा में कदम रखा। 1996 में पहली बार विधान सभा के लिए चुने गए। 2002 बृजेश सिंह से गैंगवार हुआ। फिर से दोनों के बीच संघर्ष शुरू हो गया। 2005 में मुख्तार अंसारी पर मऊ में हिंसा भड़काने के आरोप लगे। इतना ही नहीं, जेल में रहते हुए बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की 7 साथियों समेत हत्या का आरोप भी मुख्तार अंसारी के माथे पर लगा।
योगी सरकार में 7,500 मुठभेड़ हुईं, 135 बदमाश मारे गए
बताते चले कि उत्तर प्रदेश में मार्च 2017 में योगी सरकार बनने के बाद से अभी तक पुलिस और बदमाशों के बीच 7,500 मुठभेड़ हो चुकी हैं। इनमें 135 बदमाश मारे गए हैं। 2,900 से ज्यादा बदमाश घायल हुए हैं।