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SC ने दिया पंजाब सरकार को झटका, 2 हफ्ते के अंदर यूपी जेल में शिफ्ट होगा मुख्तार अंसारी
लखनऊ ( Uttar Pradesh) । पंजाब सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने यूपी के गैंगस्टर व मऊ से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश भेजे जाने का निर्देश दिया है। कहा- दो हफ्ते के भीतर यूपी पुलिस के सुपुर्द किया जाए। इसकी सुनवाई भी यूपी के कोर्ट में होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोर्ट ने यह भी कहा- अब प्रयागराज की MP/MLA कोर्ट तय करेगी कि उसे बांदा जेल में रखना है या किसी और जेल में। बता दें कि मुख्तार अंसारी इस समय पंजाब की रोपड़ जेल में बंद है। मुख्तार अपराध और राजनीति का गठजोड़ है और उसकी जिंदगी किसी फिल्म की तरह है। जिनके गुर्गे अब बिल्डर बन गए हैं। हालांकि योगी सरकार बाहुबली के खिलाफ लखनऊ, प्रयागराज, मऊ और गाजीपुर में लगातार कार्रवाई कर रही है।

विरासत में मिली है राजनीति - पांच बार का विधायक मुख्तार अंसारी गाजीपुर का रहने वाला है। उसपर 40 से अधिक गंभीर मामले दर्ज हैं। पूर्वांचल के इस माफिया को राजनीति विरासत में मिली है। उनके दादा मुख्तार अहमद अंसारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे, जबकि उनके पिता एक कम्युनिस्ट नेता थे।
रिश्ते में चाचा लगते हैं हामिद अंसारी - बाहुबली मुख्तार अंसारी के दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। वे गांधी जी के बेहद करीब माने जाते थे। दिल्ली की एक रोड का नाम उनके नाम पर है। भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते हैं।
मुख्तार ने कॉलेज के ही दिनों से चुनी थी अलग राह - कॉलेज में पढ़ाई-लिखाई में ठीक मुख्तार ने अपने लिए अलग राह चुनी। 1970 में आते-आते मुख्तार ने जमीन कब्जाना शुरू कर दिया था। उनके बड़े दुश्मन की तरह बृजेश सिंह खड़े थे, जिसके बीच गैंगवार शुरू हुई थी।
जानिए कब पहली बार लगा था हत्या का आरोप - 1988 में पहली बार हत्या के एक मामले में मुख्तार का नाम आया था। हालांकि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पुलिस नहीं जुटा पाई। 1990 दशक में मुख्तार अंसारी जमीनी कारोबार और ठेकों की वजह से अपराध की दुनिया में कदम रख चुका था। पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में उनके नाम का सिक्का चलने लगा था।
1995 में राजनीति में रखा था कदम - 1995 में मुख्तार अंसारी ने राजनीति की मुख्यधारा में कदम रखा। 1996 में पहली बार विधान सभा के लिए चुना गया। 2002 बृजेश सिंह से गैंगवार हुआ। दोनों के बीच संघर्ष शुरू हो गया। 2005 में मुख्तार पर मऊ में हिंसा भड़काने के आरोप लगे। इतना ही नहीं, जेल में रहते हुए बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की 7 साथियों समेत हत्या का आरोप भी मुख्तार पर लगा।
योगी सरकार में 7,500 मुठभेड़ हुई, 135 बदमाश मारे गए - बताते चलें, उत्तर प्रदेश में मार्च 2017 में योगी सरकार बनने के बाद से अभी तक पुलिस और बदमाशों के बीच 7,500 मुठभेड़ हो चुकी है। इनमें 135 बदमाश मारे गए हैं। 2,900 से ज्यादा बदमाश घायल हुए।