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5वीं के बाद पढ़ाई छोड़कर डॉन बना था ये शख्स, जेल में हुई थी हत्या; अब खुलेगा राज
जौनपुर (Uttar Pradesh)। पूर्वांचल में खौफ और गैंगवार का सबसे बड़े नाम डॉन मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में 9 जुलाई, 2018 को गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। अब हाईकोर्ट इलाहाबाद ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने को कहा है। जिसके बाद इस डॉन की फिर से चर्चा होने लगे हैं। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। उसका जन्म 1967 में मड़ियाहूं तहसील क्षेत्र के पूरेदयाल गांव में हुआ था। पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे। मगर, मुन्ना ने उनके अरमानों को कुचलते हुए मुन्ना ने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। उम्र बढने के साथ ही उसे कई ऐसे शौक लग गए जो उसे 17 साल की उम्र में जुर्म की दुनिया में लेकर चला चला गया, जिससे वो बाहर नहीं निकल सका।
| Published : Feb 25 2020, 08:09 PM IST / Updated: Feb 26 2020, 04:36 PM IST
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मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था और फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। 17 साल की उम्र में ही उसके सुरेरी थाना में मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा।
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मुन्ना बजरंगी अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा था। वह स्थानीय दबंग गजराज सिंह के लिए काम करने लगा। 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। इसके बाद उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दम दिखाया।
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मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। यह गैंग मऊ से संचालित हो रहा था, लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था। मुन्ना सीधे पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था। वह लगातार मुख्तार अंसारी के निर्देशन में काम कर रहा था।
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पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था, लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते भाजपा विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे। कहा जाता है कि उनपर मुख्तार के दुश्मन बृजेश सिंह का हाथ था, जो मुख्तार को रास नहीं आ रहा था। मुख्तार ने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंप दी। फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने गाजीपुर के भंवरकौल थाना क्षेत्र के गंधौर में 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया।
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मुन्ना बजरंगी ने अपने साथियों के साथ मिलकर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर असाल्ट रायफल से 400 गोलियां बरसाई थी। हमले में विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे छह अन्य लोग भी मारे गए थे। पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी। इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी। हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा। इसके बाद से वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था।
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भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी। इसलिए उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया। उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों में शामिल होने के आरोप है।
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मुन्ना बजरंगी लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहता था। उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था। इसलिए मुन्ना भागकर मुंबई चला गया। उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे। उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं, लेकिन 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था, तभी से उसे अलग-अलग जेल में रखा जा रहा था।
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डॉन मुन्ना बजरंगी की पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में बागपत कोर्ट में पेशी होनी थी। उसे झांसी से बागपत लाया गया था। पेशी से पहले ही जेल के अंदर उसे गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 7 लाख का इनामी बदमाश सुपारी किलर सुनील राठी को आरोपी बनाया गया है। सुनील राठी उसी जेल में निरुद्ध था।
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अमेठी के जगदीशपुर कोतवाली क्षेत्र के मऊ अतवारा में निवासी ब्रम्हपाल सिंह की पुत्री सीमा सिंह से मुन्ना बजरंगी ने लव मैरिज शादी की थी। सीमा इलाहाबाद में पढ़ाई कर रही थी। इसी दौरान वह मुन्ना बजरंगी के संपर्क में आई और दोनों ने प्रेम विवाह कर लिया। पहले तो सीमा के परिजनों ने रिश्ता स्वीकार नहीं किया, लेकिन बाद में दोनों का विवाह हरिद्वार में वैदिक रीति रिवाज से हुआ था। सीमा मुन्ना बजरंगी से 11 साल छोटी हैं।
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पति मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद सीमा सिंह ने याचिका दाखिल की थी। इससे पहले मुन्ना बजरंगी की पत्नी ने जेल प्रशासन की मिलीभगत से हत्या कराने का आरोप लगाया था। अब हाईकोर्ट के जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजीव मिश्रा की डिवीजन बेंच ने सीबीआई जांच के आदेश दिया है।