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शर्मीली बहू से ऐसे बोल्ड नेत्री बनी ये महिला, पहली बार भरी संसद में इस वजह से उड़ा था मजाक
| Published : Jan 15 2020, 06:10 PM IST / Updated: Jan 15 2020, 06:11 PM IST
शर्मीली बहू से ऐसे बोल्ड नेत्री बनी ये महिला, पहली बार भरी संसद में इस वजह से उड़ा था मजाक
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डिंपल का जन्म 15 जनवरी 1978 को पुणे में आर्मी कर्नल एससी रावत के घर हुआ था। इनकी शुरुआती पढ़ाई और पालन-पोषण पुणे, भटिंडा और अंडमान निकोबार में हुआ। इंटरमीडिएट के बाद इन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से ह्यूमेनिटीजज में ग्रेजुएशन किया। राइटर सुनीता एरन ने अखिलेश यादव पर एक किताब लिखी है- अखिलेश यादव-बदलाव की लहर। इस किताब में अखिलेश पर्सनल लाइफ के बारे में भी बताया गया है।
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किताब के मुताबिक, अखिलेश और डिंपल से मुलाकात इंजीनियरिंग के दिनों में एक कॉमन फ्रेंड के घर पर हुई थी। तब वे महज 21 साल के थे और डिंपल 17 की। डिंपल स्कूल में पढ़ती थीं। पहली मुलाकात में दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई और बातचीत होने लगी। बहुत जल्द ही ये दोस्ती प्यार में बदल गई। इंजीनियरिंग पूरी होने के बाद अखिलेश ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री लेने सिडनी चले गए। वहां जाकर भी अखिलेश डिंपल से लगातार कॉन्टेक्ट में रहे। वे लेटर्स लिखते, ग्रीटिंग कार्ड्स भेजते थे।
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जब डिंपल-अखिलेश की लव स्टोरी चल रही थी, उस समय पहाड़ी विद्रोही अलग राज्य की मांग कर रहे थे। डिंपल के गांव के लोग उस समय अखिलेश के पिता मुलायम के सख्त खिलाफ थे। जब मुलायम को इस रिश्ते का पता चला तो उनकी चिंता और बढ़ गई। कहीं उनके विरोधी अखिलेश की जान के दुश्मन न बन जाएं। अखिलेश जब सिडनी से लौटे तो मुलायम ने उसने पूछा- शादी कब करोगे? उस समय अखिलेश की दादी मुरती देवी बीमार थीं। अखिलेश ने दादी को अपनी प्रेम कहानी सुनाई तो उन्होंने तुरंत हामी भर दी।
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बिहार के सीनियर सपा नेता कपिल देव सिंह और उत्तराखंड के सपा नेता विनोद बर्थवाल ने मुलायम को शादी के लिए हां कहने की सलाह दी। अमर सिंह ने भी अखिलेश का सपोर्ट किया। जिसके बाद 24 नवंबर 1999 में डिंपल और अखिलेश की शादी हो गई। वर्तमान में अखिलेश और डिंपल के 3 बच्चे हैं अदिति, टीना और अर्जुन। डिंपल कन्नौज सीट से सांसद रह चुकी हैं।
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डिंपल जब अखिलेश की पत्नी बनकर मुलायम फैमिली में आईं, तब उनकी इमेज एक शर्मीली और घरेलू लड़की की थी। धीरे धीरे वो देश के सबसे बड़ी पॉलिटिकल फैमिली में रम गईं। डिंपल ने यादव फैमिली में हर रोल को बखूबी निभाय, फिर चाहे वो आज्ञाकारी बहू का किरदार हो या एक लविंग वाइफ या एक मेंटर मम्मी। शादी के बाद डिंपल की छवि एक शर्मीली बहू की थी जो घर से बाहर नहीं निकलती थीं।
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2012 में अखिलेश को सीएम बनने के लिए लोकसभा सीट से इस्तीफा देना पड़ा। तब उन्होंने खाली हुई कन्नौज सीट से डिंपल को उम्मीदवार बनाया। डिंपल ने निर्विरोध जीत दर्ज की और पहली बार सांसद बनीं।
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सांसद बनते ही डिंपल ने कुछ रिकॉर्ड अपने नाम किए। जैसे निर्विरोध सांसद बनने वाली वो देश की 44वीं पॉलिटिशियन बनीं। बीजेपी, कांग्रेस की तरफ से किसी कैंडिडेट का नॉमिनेशन ही नहीं आया था। यूपी की पॉलिटिक्स में यह कारनामा करने वाली वो पहली महिला थीं। यही नहीं, देश की एकमात्र ऐसी MP थीं, जिनके पति सीएम थे और ससुर उसी सदन में सांसद।
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सांसद बनने के बाद संसद में पहली स्पीच के बाद डिंपल का मजाक भी उड़ा था। पहली बार जब उन्होंने स्पीच दी, तो उनकी लड़खड़ाती भाषा का लोगों ने जमकर मजाक उड़ाया। इंटरनेट पर उनकी स्पीच को मजाकिया अंदाज में परोसा गया। तब से डिंपल की छवि एक सीधी-सी नेता की बन गई।
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साल 2017 के यूपी विधान सभा चुनाव में डिंपल का अलग ही रूप देखने को मिला। उन्होंने फैमिली विवाद को बेहतरीन ढंग से हैंडल किया। वो सपा की स्टार कैंपेनर साबित हुईं। मोदी से लेकर बीजेपी के हर बड़े नेता के बयानों पर पलटवार करते हुए बेहतरीन नेत्री होने का सबूत दिया।