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कभी सड़कों पर गोल गप्पे बेचता था ये लड़का, पाक के खिलाफ शतक जड़ भारत को दिलाई शानदार जीत
| Published : Feb 05 2020, 12:57 PM IST / Updated: Feb 05 2020, 07:02 PM IST
कभी सड़कों पर गोल गप्पे बेचता था ये लड़का, पाक के खिलाफ शतक जड़ भारत को दिलाई शानदार जीत
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यूपी के भदोही के सुरयावां नगर के रहने वाले यशस्वी जायसवाल के पिता भूपेंद्र की पेंट की दुकान चलाते हैं। वो कहते हैं, बेटे ने बहुत स्ट्रगल किया है। किराने की दुकान में काम किया और सड़कों पर गोल गप्पे बेचे। मैं चाहता हूं कि वो एक दिन विराट कोहली के साथ खेले और भारत को विश्व कप दिलाए। बता दें, विराट कोहली भी अंडर 19 विश्व कप में अच्छे प्रदर्शन के बाद भारतीय टीम में सिलेक्ट हुए थे।
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पिता भपेंद्र कहते हैं, बचपन से ही बेटा क्रिकेटर बनना चाहता था। इसी चलते 10 साल की उम्र में वो मुंबई चला गया। वहां एक रिश्तेदार के रहकर उसने आजाद मैदान में प्रैक्टिस शुरू की। शुरुआत में उसे ग्राउंड के बाहर ही दूसरे बच्चों के साथ खेलना पड़ा। नेट तक नहीं पहुंच पाया। आजाद ग्राउंड का ग्राउंडमैन रिलेटिव का परिचित था, उसने वहां रहने की व्यवस्था करवाई।
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पिता भपेंद्र कहते हैं, करीब तीन साल तक यशस्वी टेंट में रहा और क्रिकेट की बारीकियां सीखीं। इन 3 सालों में उसने बहुत संघर्ष किया। जमीन पर सोता था, कीड़े और चींटी काटते थे। फोन करके कहता था-पापा बहुत चींटी काटती है। मैं उससे वापस आने को बोलता तो कहता था, पापा बूट पालिश कर लूंगा। लेकिन बिना कुछ बने वापस नहीं आऊंगा। ये तकलीफें मुझे एक दिन आगे बढ़ाएंगी। आप परिवार का ख्याल रखिए।
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भूपेंद्र कहते हैं, यशस्वी 13 साल की उम्र में अंजुमन ए इस्लामिया की टीम से आजाद ग्राउंड पर लीग खेल रहा था। इस दौरान ज्वाला सर आए, उनकी शांताक्रूज में एकेडमी है। वह यशस्वी के खेल से प्रभावित थे। उन्होंने उनसे पूछा-कोच कौन है तुम्हारा? उसने जवाब दिया कोई नहीं। बड़ों को देखकर सीखता हूं। यह बात सुन ज्वाला सर बेटे को अपनी एकेडमी ले गए। यह उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट था। पिछले साल ही सचिन तेंदुलकर ने बेटे को अपने घर बुलाकर गिफ्ट में बैट दिया। जिसे उसने अपने ज्वाला सर के ऑफिस में सजा कर रखा है।
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भूपेंद्र कहते हैं, एक समय ऐसा था जब बेटे ने किराने की दुकान पर काम किया और गोलगप्पे भी बेचे। लेकिन उस समय जो लोग मुझे पागल कहते थे वो आज साथ में फोटो खिंचवाते हैं। पेपर हाथों में लेकर आते हैं। फक्र से कहते हैं, यशस्वी हमारा बच्चा है। बेटे ने मेरा सपना पूरा कर दिया।
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यशस्वी जायसवाल को पाकिस्तान के खिलाफ मैच में शतक लगाने पर मैन आफ द मैच चुना गया। पुरस्कार लेने के बाद यशस्वी ने कहा, मैंने अपने देश के लिए जो किया है उससे मैं बहुत खुश हूं।