एक तरफ झुकी हैं मीनारें...ताजमहल घूमकर भी ये चीजें देखना भूल जाते हैं आप
| Published : Jan 25 2020, 02:12 PM IST
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ताज को और खूबसूरत बनाता है उसका रॉयल गेट। परिसर में जाने पर रॉयल गेट के गुंबद के ठीक नीचे से ताज की पहली झलक मिलती है। यहां से कदम बढ़ाने पर ताज बड़ा होता दिखता है, जबकि कदम पीछे करने पर ताज छोटा होता दिखता है। लोगों को ऐसा लगता है कि फिल्म देख रहे हों और ताज को जूम किया जा रहा हो।
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ब्रिटिश शासन के दौरान मुख्य स्मारक के बगल का मेहमानखाना किराए पर दिया जाता था। इसमें अंग्रेज नव विवाहित जोड़े सुहागरात मनाते थे। उनसे अच्छा खासा किराया भी वसूला जाता था। सुहागरात मनाने वालों के लिए मेहमानखाने में काफी बदलाव किया गया था। इतिहासकार राजकिशोर राजे ने अपनी पुस्तक ‘तवारीख ए आगरा’ में इसका जिक्र किया है। किताब के अनुसार, साल 1857 के बहादुरशाह जफर के विद्रोह के बाद ताज की सुरक्षा बढ़ाई गई। तोप भी लगाए गए। इसमें अंग्रेजों को काफी खर्च करना पड़ रहा था। इसी खर्च की भरपाई मेहमानखाने को किराए पर देकर होती थी।
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ताज को बनाने में सिर्फ एक गलती की गई। मुख्य इमारत में यमुना की ओर संगमरमर की दीवारों में बने नक्काशीदार पिलरों में से एक पिलर का डिजाइन अलग है। 11 पिलर में से सिर्फ एक का डिजाइन सपाट गोल है। जबकि बाकी पिलर तिकोनी कटिंग के डिजाइन में हैं। बता दें, विश्व के कोने-कोने से 20 हजार कारीगरों ने 20 साल में ताज को बनाकर तैयार किया था।
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ताज के पूरे परिसर में 6 कब्रें हैं। संगमरमर के मुख्य स्मारक में शाहजहां और मुमताज की कब्र है। जबकि परिसर के 4 तरफ शाहजहां की पत्नी अकबरी बेगम उर्फ इजून्निसा, फतेहपुरी बेगम सरहंदी बेगम और मुमताज की प्रधान सेविका सतिउन्नीसा की कब्र है। इन कब्रों को सहेली बुर्ज का नाम दिया गया था। यह बुर्ज लाल पत्थर का बना हुआ है और गुंबद संगमरमर का।
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ताज में पर्यटकों को संगमरमर की जाली से घिरी हुई शाहजहां और मुमताज की कब्रें दिखती है। लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि ये ये कब्रें नकली हैं। इसके ठीक नीचे तहखाने में असली कब्रें बनी हुई हैं। यहां जाने का रास्ता साल में सिर्फ 3 दिन शाहजहां के उर्स के दौरान खुलता है।
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ताज महल की मीनारें मामूली रूप से बाहर की तरफ झुकी हैं। इसके पीछे भी एक वजह है। एक्सपर्ट कहते हैं, भूकंप का काफी तेज झटका आने पर मीनार बाहर की ओर गिरेंगी। इससे ताज के गुंबद को नुकसान नहीं होगा।
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ताज में विश्व के 28 तरह के पत्थर लगे हैं। इनमें से कुछ की खासियत है कि यह चांद की रोशनी में चमकते हैं। इसलिए कहा जाता है कि ताजमहल चांदनी रात में चमकता है।
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ऐसा कहा जाता है कि शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले 20 हजार मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे। जबकि सच्चाई ये है कि शाहजहां ने कारीगरों से आजीवन काम न करने का वादा लिया था। इसके एवज में उन्हें जिंदगी भर सैलिरी दी।