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रिसर्च का दावा: 20 मई के बाद कोरोना का प्रकोप होगा कम, लेकिन इन शहरों में पीक आना अभी बाकी..
कानपुर (उत्तर प्रदेश). पूरे देशभर में कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही मचा रखी है। महाराष्ट्र के बाद सबसे बुरे हालात इस वक्त उत्तर प्रदेश के हैं। जहां महामारी अपने पीक चरम पर पहुंचकर कहर बरपा रही है। यहां रोजना 30 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं तो वहीं सैंकड़ों लोगों की सांसे थम रही हैं। इसी बीच कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने दावा किया है कि यूपी के कुछ शहरों में संक्रमण का ग्राफ 20 मई के बाद नीचे गिरेगा। पढ़िए आपके शहर में कोरोना का ग्राफ..
| Published : May 04 2021, 02:14 PM IST
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प्रोफेसर ने कहा कि यूपी के कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ में संक्रमण का ग्राफ अब ढलान की ओर है। 30 अप्रैल तक यहां कोरोना का पीक आ चुका है। 20 मई तक स्थितियां काफी हद तक सामान्य हो जाएंगी। जहां अभी रोजाना डेढ़-दो हजार केस सामने आ रहे हैं फिर यह घटकर सैकड़ों तक सीमित हो जाएंगे।
मणींद्र अग्रवाल अपनी रिसर्च में कहा कि उन्होंने गणितीय विश्लेषण के आधार पर यह दावा किया है। पिछले साल के संक्रमण फैलाव और प्रतिरोधक क्षमता का विश्लेषण जनसंख्या के आधार पर यह रिसर्च कर दावा किया है। प्रोफेसर ने कहा कि हर राज्य का अलग-अलग डाटा तैयार किया है। हर राज्य में संक्रमण की स्थिति अलग-अलग है। शहरों की जनसंख्या के आधार पर इसकी गणना को समावेश किया गया है।
इस दावे के अनुसार, नोएडा में 8 से 12 मई के बीच कोरोना का पीक अवर आएगा। इसके बाद इसक ग्रॉफ धीरे-धीरे नीचे उतार आएगा। वहीं कानपुर में 28 से 30 अप्रैल को पीक आ चुका है। 20 मई के बाद से यहं भी कोरोना राहत मिलेगी।
प्रोफेसर यूपी के अलावा देश के अन्य शहरों का भी गणितीय विश्लेषण किया है। जिसके मुताबिक, मुंबई में 20 से 22 अप्रैल के बीच पीक आ चुका है। अब यहां धीरे-धीरे राहत मिलेगी। एक जून के आसपास यहां कोरोना खत्म हो जाएगा। वहीं पटना में 24 से 26 अप्रैल के बीच पीक आ चुका है। यहां भी धीरे-धीरे उतार आ रहा है। एक जून के बाद यहां भी राहत मिलने की उम्मीद है। चेन्नई में 25 से 30 मई के बीच कोरोना का पीक आएगा। जबकि कोलकाता में 12 मई के बाद कोरोना का पीक आएगा। जून के पहले सप्ताह तक यहां भी राहत मिलेगी।
बता दें कि इससे पहले भी कई बार आईआईटी के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल कोरोना की पहली और दूसरी लहर पर रिसर्च कर दावा कर चुके हैं। उनका यह दावा करीब-करीब सही निकला है।