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11 दिन तक घर में निर्वस्त्र पड़ी रही मां-बेटी की लाश, इन गतिविधियों की वजह से बेटों पर गहराया पुलिस का शक
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डीआईजी संतोष सिंह और डीसीपी काशी आरएस गौतम ने महिला छोटे बेटे अंजनी पांडेय से बंद कमरे में घंटे भर पूछताछ की। उन्होंने कहा कि पुलिस अलग-अलग एंगल से इस घटना की जांच करेगी। पुलिस नरिया तिराहे से घटना स्थल तक की सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है। इस बात से एक बात तो साफ हो गई कि मामला इतना सीधा नहीं है जितना दिख रहा है।
घटना की सूचना भी पुलिस को छोटे बेटे अंजनी ने दी थी और वह घर पर भी गया था। बता दें कि नरिया प्राथमिक विद्यालय के पास जिस मकान में मां-बेटी की लाश मिली है, उसका दो तरफ का हिस्सा गिराया जा चुका है। इस घर में कोई भी आसानी से जा सकता है। पिता के निधन के बाद मकान का बंटवारा हुआ और जब मकान गिर गया तो बड़े बेटे अखिलेश ने अपना हिस्सा बेच दिया।
मूल रूप से देवरिया के रहने वाले बालमुकुंद बिजली विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे। दो साल पहले उनकी मौत हो गई थी। आसपास के लोगों के मुताबिक बालमुकुंद पांडेय का बड़ा बेटा अखिलेश दिल्ली रहता है। छोटा बेटा अंजनी इस समय चोलापुर में एक पोल्ट्री फार्म चलाता है। मकान में बालमुकुंद की पत्नी सुनीता पांडेय (55) और बेटी दीपिका पांडेय (28) रहती थीं। पुलिस के अनुसार सुनीता का शव कमरे में पड़ा था, जबकि बेटी दीपिका पांडेय का शव बरामदे में था। उनके शरीर पर कपड़े नहीं थे।
डीआईजी ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि एक लाख रुपये छोटे बेटे के खाते में 7 जुलाई को किसी ने भेजा था। तीन जुलाई को वह घर भी आया था। इसलिए घटना संदेहास्पद लग रही है। इधर घर में तीन जुलाई से अब तक के हर दिन के अखबार भी एक ही जगह पड़े थे। डीआईजी संतोष सिंह के अनुसार प्रथम दृष्टया संपत्ति विवाद ही घटना की वजह है। छोटा बेटा अपनी संपत्ति बेचना चाहता था। इस वजह से मां से अनबन थी। बड़ा बेटा पहले ही अपनी प्रॉपर्टी बेच चुका था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
वहीं तीन दिन पहले दिल्ली में रहने वाले बड़े बेटे ने संकट मोचन चौकी प्रभारी को फोनकर मां का फोन नहीं उठाने की जानकारी दी थी। इस पर डीआईजी ने कहा जांच कर कार्रवाई की जाएगी।