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एनकाउंटर के बाद अब फिर चर्चा में कानपुर, 25 दिन से किडनैप युवक को ढूंढ़ ना सकी पुलिस, बयानों में उलझा परिवार
कानपुर(Uttar Pradesh). कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के साथ ही कानपुर में अब लैब टेक्नीशियन संजीत यादव अपहरण कांड काफी चर्चा में है। बीते 22 जून से हुए अपहरण के बाद से अब तक अपहृत युवक का सुराग न मिलने और पुलिस के कहने से परिजनों द्वारा फिरौती की 30 लाख की रकम भी अपहरणकर्ताओं को दिए जाने के बाद कानपुर पुलिस पर सवाल उठने लगे हैं। हांलाकि इस मामले में SSP दिनेश कुमार पी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बर्रा थानाध्यक्ष रणजीत राय को निलंबित कर दिया है।
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बर्रा पांच की एलआइजी कॉलोनी निवासी चमन सिंह यादव के बेटे संजीत का 22 जून को अपहरण हो गया था। 29 तारीख को अपहरणकर्ता का फोन आने के बाद बीती 13 जुलाई को परिवारवालों ने 30 लाख रुपये की फिरौती भी दे दी, लेकिन अब तक संजीत का पता नहीं लगा है।
परिजनों के मुताबिक पहले पुलिस उनके बेटे को एक हफ्ते तक ढूंढ नहीं पाई, जब किडनैपर्स का फोन फिरौती के लिए आया तो पुलिस ने उन्हें फिरौती देने को कहा और बोली कि जिस टाइम फिरौती की रकम लेने बदमाश आएंगे उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। लेकिन बदमाश फिरौती की रकम लेकर आसानी से निकल गए और पुलिस उन्हें ढूंढती ही रह गई।
किडनैपर्स ने पैसे पाने के बाद भी संजीत को नहीं छोड़ा, अब पीड़ित परिवार सदमे में है। वह अधिकारियों की चौखट पर न्याय की गुहार लगा रहा है। वहीं इस मामले में पुलिस पर तमाम आरोप लग रहे हैं। किडनैपर्स के बार-बार एक ही नम्बर से फोन करने के बाद भी उनका नम्बर अभी तक ट्रेस नहीं कर पाई है, ये पुलिसिया कार्यशैली पर बड़ा सवालिया निशान लगाता है।
पीड़ित परिवार ने एक दिन पूर्व ही अपना बयान बदलते हुए कहा था कि जो बैग किडनैपर्स को दी गई उसमे पैसे नहीं थे, बल्कि कपड़े भरे थे। अब परिजनों का कहना है कि पुलिस ने दबाव बनाकर उनसे ये बयान देने को बोला था, परिजनों के मुताबिक़ पुलिस ने कहा कि अगर पैसे की बात करोगे तो तुम्हारे बेटे की जान को खतरा हो सकता है।
अपहृत संजीत यादव का अब तक कुछ भी पता नहीं चला है। पुलिस को उसकी या बदमाशों की कोई लोकेशन नहीं मिली है। संजीत यादव अपहरण कांड में एसएसपी ने थाना प्रभारी रणजीत राय को निलंबित कर दिया है। उनके स्थान पर सर्विलांस सेल प्रभारी को नया थाना प्रभारी बनाया गया है। अपहरण कांड में 25 दिन बाद भी सर्विलांस सेल नाकाम साबित होने के बाद भी उसके प्रभारी को थाना प्रभारी बनाने पर भी उंगलियां उठ रही हैं।
पुलिस को घटनास्थल और सर्विलांस के जरिए पीडि़त परिवार के ही करीबियों पर शक है। पुलिस क्षेत्र में रहने वाले कुछ बदमाशों की भी तलाश कर रही है।