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शहीद की पत्नी के 2 दिन से नहीं रुक रहे आंसू, जो उसका दर्द सुनता वो रोने लगता..नौकरी-रु. लेने से किया मना
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दरअसल, शहीद सारज सिंह की पत्नी रजविंदर कौर मंगलवार को अपनी मां कुलवीर कौर व पिता बख्तावर सिंह के साथ ससुराल पहुंची थीं। जैसे ही उन्होंने ससुराल की चौखट पर कदम रखा तो वह सास के गले लगते ही बिलख-बिलखकर रोने लगीं। आलम यह था कि शहीद की पत्न को संभालना भी मुश्किल हो रहा था। हर कोई उनको समझा रहा था, लेकिन वह बस रोए जा रही थीं और बीच-बीच में बेसुध हो जातीं। एक शब्द शब्द कहतीं कोई मेरा पति को लौटा दो।
इस दौरान शहीद सारज सिंह की मां परमजीत कौर बहु को बार-बार गले लगाकर समझा रही थीं। वह यही कहती कि बहू चुप हो जो होना था वह हो गया। अब हमको उसकी यादों के सहारे ही जिंदगी जीना पड़ेगा। तू हिम्मत रख, मैंने भी अपना बेटा खोया है, अगर हम टूट जाएंगे तो घर के अऩ्य लोगों का कौन संभालेगा। इसके बाद भी पत्नी को यकीन नहीं हो रहा था कि उनका सुहाग अब इस दुनिया में नहीं रहा।
शहीद की पत्नी रजविंदर जब थोड़े होश में आईं तो उन्होंने बताया कि पति से मेरी कम ही बात हो पाती थी। क्योंकि वह ऐसी जगह पर तैनात थे कि जहां के हालात ठीक नहीं रहते थे। इसलिए ज्यादा बात नहीं पाती थी। रविवार को ही सारज मैंने बात की थी, उन्होंने कहा था कि मां का ख्याल रखना। वह दिसंबर में मेरे भाई की शादी में छुट्टी लेकर आने वाले थे। लेकिन उनके आने से पहले उनकी शहादत की खबर आ गई।
बता दें कि सारज सिंह (25 साल) उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के बंडा थाना क्षेत्र में बरीबरा गांव के रहने वाले थे। उनकी शहादत के बाद पूरे गांव में गम है। वह अख्तयारपुर धावकल के रहने वाले थे। एनकाउंटर में आतंकवादियों से लोहा लेते वक्त शहीद हुए। सरज के भाई सुखवीर सिंह कहते हैं कि वह (सरज सिंह) आखिरी बार इसी साल जून-जुलाई में घर आया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सारज की शहादत को सलाम किया। उन्होंने सरज के शौर्य और वीरता को नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी। सीएम ने कहा कि शहीद के परिजन को 50 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी। परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिलेगी। जनपद की एक सड़क का नामकरण भी शहीद के नाम पर करने की घोषणा की। योगी ने कहा कि सारज का बलिदान याद रखा जाएगा। सरकार उनके परिवार के साथ खड़ी है।
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