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UP पंचायत चुनाव: मुलायम के गांव सैफई में आजादी के बाद पहली बार हुआ मतदान, बेटा-बहू पहुंचे वोट डालने
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इस वजह से टूट गई निर्विरोध निर्वाचन की परंपरा
दरअसल, सैफई गांव में समाजवादी पार्टी और मुलायम परिवार ने एक होकर बुजुर्ग रामफल बाल्मीकि को प्रधान पद के लिए मैदान में उतारा था। जहां उनको लगता था, उनका प्रधान निर्विरोध चुना जाएगा। लेकिन गांव की महिला विनीता के नामांकन भरने से सैफई में निर्विरोध निर्वाचन की परंपरा टूट गई। इसलिए यहां पहली बार प्रधान पद के लिए वोट डाले गए।
इनके नाम दर्ज हो लंबे समय तक निर्विरोध प्रधान बनने का रिकॉर्ड
बता दें कि सैफई गांव में आजादी के बाद कभी प्रदान पद के लिए मतदान नही हुआ। यहां सबसे लंबे समय तक प्रधान रहने का रिकॉर्ड दर्शन सिंह के नाम था, जो मुलायम सिंह के करीबी और उनके दोस्त थे। लेकिन उनका निधन हो गया था, इसके बाद दूसरे लोग चने गए, वह भी निर्विरोध प्रधान बने। अब जो पहली बार मतदान का सामना कर रहे रामफल भी दर्शन सिंह की तरह ही मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी हैं। गांव के कई लोगों का कहना है कि इस बार भी यह सीट सपा के खाते में ही जाएगी और 100 प्रतिशत रामफल बाल्मीकि की जीत का दावा कर रहे हैं। साल 1967 से मुलायम सिंह यादव से जुड़े रामफल बाल्मीकि की पत्नी कई बार जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं। (मुलायम सिंह यादव के भाई अभय राम यादव अपने मताधिकार का प्रयोग करने के बाद)
मुलायम परिवार के लोगों ने डाला वोट
सोमवार सुबह समाजवादी पार्टी के नेता और बदायूं के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव, उनके पिता अभय राम सिंह यादव, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय महासचिव आदित्य यादव अपनी पत्नी राजलक्ष्मी के साथ इस मतदान केंद्र पर मतदान करने के लिए पहुंचे। तीनों वोट डालने के बाद उंगली दिखाते हुए जीत का दावा किया।
कोर्ट से चुनाव पर रोक लगाने की मांग
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव चल रहा है। जिस तरह से लोग लाइनों में लगकर एक दूसरे से सटकर मतदान कर रहे हैं। उसको देखते हुए अब इस पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। एक याचिकाकर्ता ने कोरोना को देखते हुए चुनाव पर रोक लगानी की मांग की है।
यूपी पंचायत चुनाव की यह तस्वीर बिजनौर के मतदान केंद्र की है, जहां इस तरह से लंबी-लंबी कतारें देखने को मिलीं। किसी ने मास्क लगाया हुआ है तो किसी ने अपने रुमाल को ही मुंह पर बांध लिया।
पंचायत चुनाव की यह तस्वीर वाराणसी के कोइराजपुर के एक मतदान केंद्र की है, जहां महिलाएं बाहर वोट डालने का इंतजार करती हुईं।
कोरोना के कहर के बाद भी लोगों का वोट डालने का उत्साह कम नहीं हुआ। उन्होंने अपना परिचय पत्र दिखाते हुए फोटो खिंचवाई, फिर वोट डाला। यह तस्वीर राजधानी लखनऊ की है।
एक तरफ सरकार लोगों को कोरोना की वजह से घर से बाहर निकलने के लिए मना कर रही है, वहीं वह उन्हें मतदान करने के लिए बुला रही है। हालांकि महामारी के बाद भी बुजुर्ग अम्मा का जोश कम नहीं हुआ, वह अपने परिजनों की मदद से मतदान करने पहुंची। यह तस्वीर सुल्तानपुर में पथरा गांव के बूथ की है।
लोकतंत्र के पर्व की यह तस्वीर दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा की है, जहां बुजुर्ग अपने परिजनों की मदद से मतदान के लिए पहुंचे।