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सड़क पर ऐसे हुई बाबा विश्वनाथ की सप्तऋषि आरती, पार्थिव शिवलिंग बनाकर इस वजह से की पूजा
वाराणसी (Uttar Pradesh) । इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब बाबा विश्वनाथ की सप्तऋषि आरती बीच सड़क पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर की गई। हालांकि लॉकडाउन की वजह से भी सदियों पुरानी ये परंपरा नहीं टूटी। रोजाना होने वाली इस आरती को बाबा विश्वनाथ के अर्चकों ने ही किया। वहीं, प्रधान अर्चक गुड्डू महाराज ने बताया कि उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया, जिसकी वजह से बीच सड़क पर ये आरती विरोध स्वरूप की गई। अर्चकों का आरोप है कि सैकड़ों साल की परंपरा को आज मंदिर प्रशासन ने तोड़ दिया।
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बता दें कि मंदिर में सप्तऋषि आरती सैकड़ों सालों से महंत परिवार के जिम्में ही है। 1983 में मंदिर के अधिग्रहण के बाद भी ये जिम्मेदारी इन्ही के कंधों पर रही, लेकिन आज मंदिर प्रशासन ने इन्हें ये करने से रोक दिया। जिसकी वजह से महंत परिवार और मंदिर प्रशासन के बीच चले आ रहे तनाव की वजह से विवाद एक बार फिर गहरा गया है।
कहा जा रहा है कि इस विवाद का कारण काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण की वजह से है। इसमें परिसर में स्थित कैलाश मंदिर के गुम्बद को कॉरिडोर काम करा रहे ठेकेदार द्वारा तोड़ने का आरोप है, जबकि मंदिर से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि निर्माण कार्य को प्रभावित करने के लिए महंत परिवार द्वारा बार-बार अफवाह फैलाई जा रही है कि परिसर में स्थित पुरानी मंदिरों को तोड़ा जा रहा है।
महंत परिवार और मंदिर प्रशासन के बीच चल रहा ये तनाव आज बीच सड़क पर भी दिखा। काशी में सड़क पर सप्तऋषि आरती का एक इतिहास भी बना। ये आरती विरोध स्वरूप की गई है, लेकिन बाबा पर आस्था रखने वालों के लिए ये विरोध उचित नहीं लगा।
मंदिर के एक हिस्से को क्षतिग्रस्त करने की खबरे और तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल की गई। जिसकी सच्चाई जानने के बाद वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने सख्त लहजे में कहा है कि जिन लोगों ने भी मंदिर से जुड़ी ये अफवाह उड़ाई है, उनके खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने कहा है कि जो भी चाहे इसको चेक करा सकता है, वहां कोई भी हिस्सा क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। ये सिर्फ उन लोगों की साजिश है, जिन लोगों ने पैसे लेकर भी अब तक मकान खाली नहीं किया।